
ह्यूमन राइट्स काउंसिल ऑफ बलूचिस्तान की ताजा रिपोर्ट ने पाकिस्तान सरकार की पोल खुली पोल (सोर्स-सोशल मीडिया)
Balochistan Security Force Violence: बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा मानवाधिकारों के सुनियोजित उल्लंघन ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
‘ह्यूमन राइट्स काउंसिल ऑफ बलूचिस्तान’ (HRCB) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2025 में प्रांत में जबरन गायब किए जाने और लक्षित हत्याओं के मामलों में भयानक बढ़ोत्तरी देखी गई है। स्थानीय लोगों और मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि ये घटनाएं सुरक्षा बलों और राज्य समर्थित दस्तों द्वारा अंजाम दी जा रही हैं। बलूच नागरिक अब अपनी जान और पहचान बचाने के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं।
HRCB की विस्तृत रिपोर्ट बताती है कि पिछले एक महीने में ही 106 नए अपहरण और 42 हत्याएं दर्ज की गई हैं। मारे गए लोगों में कई ऐसे थे जिन्हें पहले अगवा किया गया था और बाद में उनकी लाशें बरामद हुईं, जिसे ‘किल एंड डंप’ नीति कहा जाता है।
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सबसे ज्यादा 60 अपहरण ‘फ्रंटियर कॉर्प्स’ ने किए हैं, जबकि बाकी मामलों में खुफिया एजेंसियां और काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट शामिल हैं। केच, क्वेटा और पंजगुर जैसे जिले इन घटनाओं के मुख्य केंद्र रहे हैं, जहां छात्रों और आम नागरिकों को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के उठा लिया गया।
बलूचिस्तान में अब महिलाएं और बच्चे भी सुरक्षित नहीं हैं। हाल ही में केच जिले में एक ही परिवार के चार सदस्यों, जिनमें आठ महीने की गर्भवती महिला हानी दिलवाश भी शामिल है, के गायब होने के बाद तनाव चरम पर है।
इसके विरोध में बलूच परिवारों ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के मुख्य राजमार्ग को जाम कर दिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक उनके परिजनों की सुरक्षित वापसी नहीं होती, तब तक यह धरना जारी रहेगा। बलूच यकजेहती समिति (BYC) ने इसे महिलाओं के खिलाफ बढ़ते दमन का एक खतरनाक चरण बताया है।
बलूचिस्तान में जारी इस संकट पर ब्रिटेन के सांसदों और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे संगठनों ने भी चिंता जताई है। हालांकि, पाकिस्तानी प्रशासन इन आरोपों पर चुप्पी साधे हुए है या इन्हें सुरक्षा ऑपरेशन का हिस्सा बता रहा है।
जमीनी हकीकत यह है कि बलूच युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी और संसाधनों की लूट के साथ-साथ इन हत्याओं ने अलगाववाद की आग को और हवा दी है। अगर समय रहते इन मानवाधिकार उल्लंघनों पर रोक नहीं लगाई गई, तो बलूचिस्तान का यह असंतोष पूरे क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है।






