बलोच नेता तारा चंद, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
बलूचिस्तान लंबे समय से स्वतंत्रता की मांग कर रहा है। इसी क्रम में, अमेरिका में बलूच समुदाय के नेता और कांग्रेस के अध्यक्ष तारा चंद ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि वह बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की दिशा में प्रयासरत आंदोलन को समर्थन दें। उन्होंने पीएम मोदी को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें पाकिस्तान द्वारा बलूच जनता पर दशकों से किए जा रहे दमनकारी अत्याचारों जबरन गायब करना, यातना देना, और नरसंहार की आलोचना की गई है। तारा चंद ने यह भी कहा है कि स्वतंत्र बलूचिस्तान भारत के लिए एक रणनीतिक लाभ साबित हो सकता है।
चंद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “मैंने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उनसे आग्रह किया है कि वे स्वतंत्र बलूचिस्तान के लिए ठोस समर्थन दें। बलूच लोग पाकिस्तान के दमन और नरसंहार का शिकार हो रहे हैं। एक स्वतंत्र बलूचिस्तान, भारत के लिए शांति और स्थिरता का प्रतीक बन सकता है। न्याय के समर्थन में हमारे साथ खड़े हों।”
I have written a letter to Prime Minister Modi which is attached in the tweet. 📢 Urging @narendramodi to lend meaningful support for a free #Balochistan! The Baloch people face oppression and genocide under Pakistan's regime. A free Balochistan would be a blessing for… pic.twitter.com/UnNJJk1dRd
— Dr. Tara Chand (@drtchand) May 23, 2025
बलूच अमेरिकन कांग्रेस ने दो आधिकारिक पत्रों के माध्यम से सीधे दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय को यह अपील भेजी है। इन पत्रों में चंद ने बलूचिस्तान मुद्दे पर भारतीय नेतृत्व द्वारा पूर्व में दिखाई गई रुचि की प्रशंसा की है। उन्होंने विशेष रूप से लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में बलूचिस्तान का उल्लेख किए जाने को रेखांकित किया, जिसे वे नैतिक समर्थन की अभिव्यक्ति मानते हैं। उनका कहना है कि इस समर्थन से उत्पीड़ित बलूच समुदाय के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आशा की एक किरण जगी है।
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चंद ने कहा कि लाल किले से दिया गया संबोधन दुनिया भर के बलूच समुदाय के लोगों ने एक ऐसे राष्ट्र के लिए नैतिक समर्थन के रूप में देखा है, जिस पर पाकिस्तान ने जबरन कब्जा कर लिया है, उसे अपने अधीन कर लिया है और वहां के लोगों पर अत्याचार किए जा रहे हैं। उन्होंने बल देकर कहा कि बलूच जनता को पाकिस्तान की सेना के मुख्यालय रावलपिंडी से संचालित जिहादी सेना के हाथों नरसंहार जैसी भीषण घटनाओं का सामना करना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि ये कार्रवाई बलूच राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन को दबाने के एक लंबे और संगठित अभियान का हिस्सा है, जो कई दशकों से जारी है। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि बलूचिस्तान में चीन की उपस्थिति एक उपनिवेशवादी ताकत की तरह है, जो एक अतिरिक्त भू-राजनीतिक चुनौती उत्पन्न करती है। इसके अलावा, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले की सराहना करते हुए इसे एक साहसिक कदम बताया।