अमेरिका का हूती विद्रोहियों पर ताबड़तोड़ हमले, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: मंगलवार को यमन में अमेरिकी हवाई हमलों में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और दर्जनभर से अधिक लोग घायल हो गए। ये हमले हूती विद्रोहियों के खिलाफ जारी हैं, जो समुद्री व्यापार और इजरायल के लिए खतरा बने हुए हैं। अमेरिकी सेना के हमले लगातार दसवें दिन भी जारी रहे, और अभी तक इनके थमने के कोई संकेत नहीं हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर किए जा रहे इन हमलों का उद्देश्य विद्रोही गुट को निशाना बनाना और उनके प्रमुख समर्थक ईरान पर दबाव बनाना है। यमन के बड़े हिस्से पर कब्जा रखने वाले हूती विद्रोहियों ने कई बार लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों पर हमले की चेतावनी दी है।
ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज ने कहा कि इन हमलों में हूती नेतृत्व के कई महत्वपूर्ण सदस्य मारे गए हैं। उन्होंने टेलीविजन नेटवर्क ‘सीबीएस’ के कार्यक्रम ‘फेस द नेशन’ में बताया कि हूती विद्रोहियों के मुख्यालय, संचार केंद्र, हथियार निर्माण इकाइयों और ड्रोन निर्माण सुविधाओं पर हमला किया गया है।
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हूती विद्रोहियों के अनुसार, अमेरिकी हवाई हमलों ने सादा शहर, रेड सी के बंदरगाह शहर होदेदा और मारीब प्रांत को निशाना बनाया, जहां अब भी यमन की निर्वासित सरकार के समर्थकों का नियंत्रण है। इन हमलों के जवाब में, हूती विद्रोहियों ने भी इजरायल पर मिसाइल दागी। यमन पर अमेरिकी हवाई हमले 15 मार्च से जारी हैं।
हूती यमन के ज़ैदी शिया समुदाय से जुड़े एक सशस्त्र संगठन हैं। इस समूह का गठन 1990 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह की कथित भ्रष्टाचार नीतियों के खिलाफ संघर्ष के लिए किया गया था। इसका नाम इसके संस्थापक हुसैन अल हूती के नाम पर रखा गया। हूती विद्रोही स्वयं को ईरान समर्थक मानते हैं।
अमेरिका और हूती गुट के बीच दुश्मनी की शुरुआत 2003 में हुई, जब अमेरिका ने सद्दाम हुसैन के खिलाफ ईराक पर हमला किया। इसके बाद, हूती विद्रोहियों ने अमेरिका और यहूदियों के विरोध में नारे लगाए और इस्लाम की विजय की कामना की।