सुकांत मजूमदार एवं अभिषेक बनर्जी (फोटो- सोशल मीडिया)
कोलकाताः देश में की सियासत में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी में अनबन की खबरों ने सबको चौंका दिया। उनके भाजपा में जाने की खबरों को खूब हवा मिली, लेकिन अब भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार का इस मामले पर बयान आया है। उन्होंने सांसद बनर्जी पर विवादित टिप्पणी करते हुए उन्हें सड़ा हुआ आलू करार दिया है।
मजूमदार ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी को सड़ा हुआ आलू बताते हुए कहा कि उसे टीएमसी में क्यों लेना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि अभिषेक और ममता बनर्जी में कोई अंतर नहीं है। वह चाहे किसी भी तरह का भ्रष्टाचार करें, ममता सब कुछ अच्छी तरह से जानती हैं। उनका टीएमसी में रहना हमारी यूएसपी है। हम कह सकते हैं कि चोरों का सरदार टीएमसी में है।
इससे पहले भाजपा में जाने की खबरों का अभिषेक बनर्जी ने खंडन करते हुए कहा था कि “मैं भाजपा में कभी नहीं जाउंगा” इतना ही नहीं उन्होंने 27 फरवरी को एक तृणमूल कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रम में कहा था कि बाजार में कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं कि मैं भाजपा में जाने वाला हूं। मैं मरते दम तक इसी पार्टी में हूं। भले ही आप मेरा गला काट दें, फिर भी मेरे मुंह से ममता बनर्जी जिंदाबाद का नारा निकलेगा।’
मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी का किया जिक्र
टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा, ‘‘इससे पहले मैंने मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी जैसे पार्टी को धोखा देने वालों की पहचान की थी। मैंने उन्हें बेनकाब करने की जिम्मेदारी ली। आने वाले दिनों में मैं ऐसे लोगों की पहचान करता रहूंगा।’’ उन्होंने पार्टी के भीतर अनुशासनहीनता के खिलाफ भी चेतावनी दी। उन्होंने कहा, ‘‘कई नेता पार्टी के अनुशासन का पालन किए बिना मीडिया में प्रासंगिक बने रहने के लिए बयान देते हैं। पार्टी के नियमों की अवहेलना न करें। ऐसा करने वालों की पहचान पहले ही हो चुकी है।’
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कैसे शुरू पूरा विवाद
दरअसल अभिषेक बनर्जी सीधे तौर पर ममता बनर्जी से नराज नहीं है। उनकी नाराजगी पार्टी के ओल्ड गार्ड से है, जिसकी वजह से अभिषेक बनर्जी बैकफुट पर ढकेल दिए जाते हैं। इस सारे विवाद की जड़ पश्चिम बंगाल में 27 फरवरी को होने वाले 108 नगर पालिकाओं और नगर निगमों के चुनावों के लिए उम्मीदवारों की सूची है। इस सूची में पार्टी के कई पुराने वफादारों के नामों की जगह नए आए लोगों के नाम थे। इससे पुराने लोग नाराज़ हुए, तो पार्टी ने उम्मीदवारों की नई सूची जारी की गई, लेकिन नाराज़गी का दौर खत्म नहीं हुआ, जिसके बाद जो हुआ वह अराजकता थी। तृणमूल कांग्रेस की वेबसाइट पर उम्मीदवारों की एक दूसरी लिस्ट सामने आई और किसी ने भी आधिकारिक तौर पर, सूची जारी करने की जिम्मेदारी नहीं ली।
क्या बोलीं ममता बनर्जी?
इसके बाद सीएम बनर्जी ने घोषणा की कि केवल एक आधिकारिक सूची थी, जिस पर पार्टी के महासचिव सुब्रत बख्शी और महासचिव पार्थ चट्टोपाध्याय ने साइन किए थे। कहा जा रहा था कि पार्टी के पासवर्ड का दुरुपयोग किया गया था और इसके लिए I-PAC को दोषी ठहराया गया था। आरोप-प्रत्यारोप के पीछे असली लड़ाई सामने आई। जो लिस्ट वेबसाइट पर पोस्ट की गई, माना जा रहा है कि वह अभिषेक बनर्जी की पसंद थी।