जगन्नाथ धाम विवाद पर सुदर्शन पटनायक ने लिखा पीएम मोगी को पत्र
भुवनेश्वर: पश्चिम बंगाल दीघा में जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन के बाद उसे ‘जगन्नाथ धाम’ कहने पर विवाद खड़ा हो गया है। हाल ही में दीघा में इस मंदिर का उद्घाटन हुआ है जिसके बाद से नया विवाद भी खड़ा हो गया है। दीघा के मंदिर को जगन्नाथ धाम कहने पर पुरी के श्रद्धालुओं और धाम के महंत ने विरोध शुरू कर दिया है। अब रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने इस मामले में पीएम मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
पद्मश्री पुरस्कार विजेता सुदर्शन पटनायक श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति (SJTMC) के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर ही “असली धाम” है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दीघा के मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम’ कहना भगवान जगन्नाथ के लाखों भक्तों को स्वीकार्य नहीं है।
सुदर्शन पटनायक ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की घोषणा से यह बात लोगों के ध्यान में आई है कि दीघा में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम’ कहा जा रहा है। महाप्रभु श्री जगन्नाथ को समर्पित नए मंदिर का निर्माण वास्तव में नेक कार्य है, लेकिन इसे ‘जगन्नाथ धाम’ कहने से लाखों भक्तों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। पवित्र ग्रंथों के अनुसार केवल एक ही मान्यता प्राप्त जगन्नाथ धाम है जो पुरी में है। किसी अन्य स्थान के लिए धाम शब्ध का इस्तेमाल करने से धार्मिक भ्रम पैदा हो सकता है और यह हिंदू धर्म की दीर्घकालिक आध्यात्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत के विपरीत है।
पटनायक ने मोदी को लिखे पत्र में कहा, ‘गहरे सम्मान और श्रद्धा के साथ महाप्रभु जगन्नाथ के प्रति आपकी अटूट भक्ति और समृद्ध जगन्नाथ संस्कृति के संरक्षण में आपके ईमानदार प्रयासों को स्वीकार किया जाता है। मैं विनम्रतापूर्वक आपसे इस मामले पर ध्यान देने का अनुरोध करता हूं और उचित कार्रवाई करने पर विचार करने का आग्रह करता हूं।”
बंगाल के दीघा जगन्नाथ मंदिर से ‘धाम’ शब्द हटाया जाए, पुरी के पुजारियों ने उठाई मांग
पटनायक ने इससे पहले ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दीघा के मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम’ के रूप में चित्रित करने पर ओडिशा की डिप्टी सीएम पार्वती परिदा ने कहा कि ममता बनर्जी द्वारा श्री जगन्नाथ संस्कृति और परंपरा की छवि को धूमिल करने का प्रयास उनके कद के अनुरूप नहीं है।