बंगाल भाजपा प्रमुख सुकांत मजूमदार (फोटो- सोशल मीडिया)
कोलकाता/नई दिल्ली: विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर एक सिन्दूर का पौधा लगाकर एक बार फिर देशवासियों को प्रकृति से जुड़ने के साथ एक अन्य संदेश भी दिया। खास बात यह रही कि यह पौधा सिंदूर से जुड़ा हुआ था, तो इसे एक प्रतीक के तौर पर लगाया गया। इसे लेकर बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि पीएम मोदी की पहल ‘एक पेड़ मां के नाम’ अब केवल एक अभियान नहीं, बल्कि एक जनांदोलन बनने जा रही है। उन्होंने बताया कि अब यह परंपरा न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी लोगों का ध्यान खींच रही है।
सुकांत मजूमदार ने यह भी कहा कि कुछ महीने पहले तक जो लोग ‘सिंदूर’ शब्द से अपरिचित थे, वे अब इसके प्रतीकात्मक महत्व को समझने लगे हैं। कुछ दिन पहले ही ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चर्चा में रहा था, और अब प्रधानमंत्री द्वारा सिंदूर से जुड़े पौधे का रोपण उस संदेश को और मजबूत कर रहा है। यह न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत को सामने लाता है, बल्कि पर्यावरण को लेकर जागरूकता भी बढ़ा रहा है।
Bengal BJP Chief Sukanta Majumdar spoke about PM Modi planting a sindoor sapling at his residence on the occasion of World Environment Day. Here’s what he said:
“Today is World Environment Day, and on this occasion, the Prime Minister shared a mantra last year: “Ek Ped Maa Ke… pic.twitter.com/VNRJwx5jcA
— Press Trust of India (@PTI_News) June 5, 2025
‘एक पेड़ मां के नाम’ अब बन रहा है आंदोलन
बंगाल भाजपा प्रमुख ने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया ‘एक पेड़ मां के नाम’ का संदेश अब सिर्फ एक प्रतीक नहीं, बल्कि हर नागरिक को प्रकृति और मातृभूमि के साथ जोड़ने की एक सांस्कृतिक पहल बन चुका है। यह अभियान न केवल हरियाली बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि पर्यावरण के साथ भावनात्मक जुड़ाव को भी मजबूती देगा। यह पहल समाज में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भाव पैदा कर रही है।
‘सिंदूर का संदेश पहुंचा दुनिया तक’
मजूमदार ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा सिंदूर से जुड़े पौधे का रोपण न सिर्फ भारतीय संस्कृति को सम्मान देने वाला कदम है, बल्कि यह पूरी दुनिया को एक सांस्कृतिक संदेश भी देता है। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर जैसी हालिया घटनाएं भी इसी दिशा में संकेत करती हैं कि भारतीय प्रतीकों की पहचान अब वैश्विक हो रही है। प्रधानमंत्री का यह कदम भारत के पर्यावरणीय और सांस्कृतिक दायित्वों को जोड़ने वाला बन गया है।