बांग्लादेशी नेताओं को ममता बनर्जी की सख्त चेतावनी
नई दिल्ली: संसद में तृणमूल कांग्रेस ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल राज्य का नाम बदलने की मांग की है। पार्टी ने राज्य का नाम ‘बांग्ला’ करने की अपनी पुरानी मांग दोहराई है। पार्टी सांसद ममता ठाकुर ने राज्यसभा में विशेष उल्लेख के दौरान सरकार से राज्य का नाम बदलने का आग्रह किया है। बता दें कि 2018 में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने विधानसभा में ये प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय से नाम बदलने का आग्रह किया था।
नाम बदलने के पीछे सरकार का तर्क था कि ये पश्चिम बंगाल के लोगों से जुड़ा भावनात्मक मुद्दा है। प्रदेश के बांग्ला भाषी लोग प्रदेश के प्राचीन नाम को बदलकर बांग्ला करने की मांग कर रहे हैं। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए पिछले कुछ सालों में देश के कई बड़े शहरों के नाम भी बदले गए हैं। प्रस्ताव में चेन्नई, बेंगलुरु, मुंबई, प्रयागराज जैसे कई उदाहरण भी दिए, जिनके पिछले नाम बदले गए हैं।
प्रस्ताव में बताया गया है कि राज्य को यह नाम देश की आजादी के बाद 1947 में मिला था। क्योंकि उस वक्त बंगाल को दो भागों में विभाजित कर पूर्वी क्षेत्र पाकिस्तान (वर्तमान में बांग्लादेश) और पश्चिमी क्षेत्र भारत को दिया गया था। इसीलिए प्रदेश का नाम पश्चिम बंगाल रखा गया है। इस नाम का 1947 से पहले बंगाल के इतिहास तथा संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है। तृणमूल कांग्रेस लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान इस मुद्दे को लगातार उठाती रही है।
प्रदेश का नाम बदलने के पीछे ममता बनर्जी की अपनी राजनीति भी छिपी है। बता दें कि 2011 में पहली बार सीएम बनने के बाद ममता बनर्जी केंद्र सरकार के एक कार्यक्रम में दिल्ली पहुंची थीं। इस दौरान उनको सबसे आखिर में बोलने का मौका मिला था, क्योंकि अंग्रेजी वर्णमाला के मुताबिक पश्चिम बंगाल सबसे आखिर में आता है। शायद यही वजह है कि ममता बनर्जी ने राज्य का नाम वर्णमाला के पहले अक्षरों में बदलने के बारे में सोच रही हैं।