
कैफे मालिक मुकुल और तूबा (सोर्स - सोशल मीडिया)
Himachal Cafe Startup : हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत इलाके जिभी में एक युवा जोड़े ने अपनी जिंदगी की दिशा बदलने का साहसिक फैसला लिया। दिल्ली में कॉर्पोरेट सेक्टर में काम कर रहे मुकुल और तूबा अपनी भागदौड़ भरी नौकरी और दिनचर्या से खुश नहीं थे। दोनों 2021 में मिले और जल्द ही पहाड़ों की शांत जिंदगी ने उन्हें अपनी ओर खींच लिया।
इसी दौरान जिभी की एक यात्रा में तूबा को एक हॉस्टल में वॉलंटियर बनने का मौका मिला, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी। मुकुल भी लंबे समय से ऐसा काम करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बिना सोचे नौकरी छोड़ दी। अगले तीन सालों तक दोनों अलग-अलग हॉस्टलों में काम करते रहे, जहां उन्होंने साफ-सफाई, सोशल मीडिया, फ्रंट डेस्क, ट्रेक्स, मेहमानों की सुविधा जैसे हर छोटे-बड़े काम सीखकर हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री का अनुभव हासिल किया।
कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ना आसान नहीं था। दिल्ली की नौकरी में मुकुल करीब 65,000 रुपये और तूबा लगभग 35,000 रुपये महीने कमाती थीं। लेकिन पहाड़ों में वॉलंटियरिंग करते हुए उन्हें सिर्फ 5,000 से 15,000 रुपये तक का स्टाइपेंड मिलता था। मुकुल के माता-पिता पहले हैरान थे, लेकिन समय के साथ उन्होंने बेटे के फैसले को स्वीकार कर लिया।
जैसे-जैसे मुकुल और तूबा काम सीखते गए, उनके मन में एक दिन अपना कैफे और हॉस्टल खोलने का सपना मजबूत होता गया। जिभी में उन्हें एक खूबसूरत जगह मिली, जिस पर उन्होंने 15 साल की लीज ले ली। यह प्रॉपर्टी भले ही उनकी नहीं थी, लेकिन उन्हें अपने सपने की नींव रखने के लिए सही जगह मिल गई थी।
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2024 में उन्होंने अपना कैफे ‘Cafe Bleeblu’ शुरू किया। तूबा ने कैफे खुलने से एक महीने पहले अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ दी। शुरुआत से ही उनका कैफे सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा और पहले तीन महीनों में ही उन्होंने ब्रेक-ईवन हासिल कर लिया। लोग कैफे की लोकेशन, माहौल और घर जैसा खाना पसंद करने लगे।
जो भी कमाई होती है, वे उसे अपने बिजनेस में ही दोबारा निवेश करते हैं। जल्द ही वे अपना नया 9 रूम वाला हॉस्टल ‘Bleeblu Stays’ भी खोलने जा रहे हैं। मुकुल का मानना है कि भले ही उन्होंने बड़ी तनख्वाह छोड़ दी, लेकिन आज वे कहीं ज्यादा खुश हैं। उनकी मेहनत, सीख और लगन ने उन्हें सपना पूरा करने की ताकत दी। तूबा कहती हैं—“यह केवल कैफे नहीं, हमारा घर और हमारा सपना है।






