कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के लीडर पीएल पुनिया (सोर्स-सोशल मीडिया)
देहरादून: लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तराखंड में कांग्रेस को सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। जिसकी समीक्षा के लिए शनिवार को देहरादून में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की बड़ी बैठक हुई। इस बैठक में हार के कारणों और कमियों पर चर्चा की गई है। बैठक में क्या कुछ निकला बताते हैं।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आज यानी शनिवार को कांग्रेस पार्टी की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी से जुड़े सदस्यों और राज्य के वरिष्ठ नेताओं व पार्टी पदाधिकारियों की एक बड़ी बैठक हुई। इस बैठक में लोकसभा चुनाव में सभी पांच सीटों पर कांग्रेस की हार को लेकर मंथन किया गया है।
बैठक के बाद कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के लीडर पीएल पुनिया ने बताया कि “लोकसभा चुनाव में मिली हार पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने उत्तराखंड में पार्टी नेताओं से चर्चा की। कमेटी का नेतृत्व कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने किया। पीएल पुनिया ने कहा कि “सभी ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की है। मैंने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं, विधायकों, पूर्व विधायकों आदि से बात की है। उन चर्चाओं के आधार पर मैं एक रिपोर्ट हाईकमान को सौंपूंगा।”
देहरादून: लोकसभा चुनाव में मिली हार पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने उत्तराखंड में पार्टी नेताओं से चर्चा की। कमेटी का नेतृत्व कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने किया। पीएल पुनिया ने कहा कि “सभी ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की है। मैंने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं,… pic.twitter.com/BGLJLRwPSd
— IANS Hindi (@IANSKhabar) July 20, 2024
उधर दूसरी तरफ सूत्रों के हवाले से ख़बर आ रही है कि राज्य में कांग्रेस की हार के पीछे शीर्ष नेतृत्व के कम ध्यान देने की बात निकलकर सामने आई है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को राज्य में और ज्यादा समय देना चाहिए था।
इसके अलावा एक और बात जो निकलकर सामने आई है वह यह कि कांग्रेस के कार्यकर्ता यहां जमीनी लेवल पर उसके घोषणा पत्र की बातों को नहीं पहुंचा सके। अगर कार्यकर्ता और नेता थोड़ी सी और मेहनत करते हार वाले परिणाम जीत के नतीजों में बदल सकते थे।
आपको बता दें कि कांग्रेस ने उत्तराखंड की सभी सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन उसे 5 की पांचों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। इस हार की खास बात यह रही कि हर जगह कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही लेकिन हार का अंतर एक लाखों में रहा था।