ज्ञानवापी मस्जिद ( फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
लखनऊः वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले हिंदू पक्षकारों को कोर्ट से झटका लगा है। शुक्रवार को वाराणसी जिला अदालत ने सुवाई करते हुए हिंदू पक्ष की अतिरिक्त एएसआई सर्वे कराने की याचिका को खारिज कर दिया। करीब 33 सालों से लंबित मामले पर आज वाराणसी की जिला अदालत ने अपना फैसला सुनाया है।
हिंदू पक्षकारों द्वारा दावा किया गया है कि ज्ञानवापी के मुख्य गुंबद के नीचे 100 फुट का शिवलिंग मौजूद है। जिसके चलते परिसर के शेष स्थल की खुदाई कराकर एएसआई सर्वे कराने की मांग की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने खुदाई का विरोध किया है। यह मामला 1991 में सोमनाथ व्यास द्वारा दाखिल किए गए वाद से जुड़ा है।
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बता दें कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में जो गंगा घाट से सटा हुआ है, ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है। इस मस्जिद को हिंदूओं द्वारा भगवान शिव का प्राचीन मंदिर बताया जा रहा है। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह मस्जिद है।
ज्ञानवापी मामला पिछले साल अगस्त माह में तब चर्चित हुआ, जब दिल्ली की एक महिला राखी सिंह चार अन्य महिलाओं के ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में श्रृंगार गौरी और कुछ अन्य देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन की अनुमति के लिए कोर्ट में याचिका डाली। इस याचिका में दावा किया गया कि श्रृंगार गौरी और कुछ अन्य देवी देवता प्लॉट नंबर 9130 में मौजूद हैं, जो विवादित नहीं है। इसके साथ ही दायर याचिका में मांग की गई मस्जिद का सर्वे कराकर मामले को सुलझाया जाए।
याचिका के 8 महीने बाद वाराणसी की निचली अदालत ने वीडियोग्राफी के साथ सर्वे करने के आदेश दे दिए। इसके बाद ज्ञानवापी विवाद पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। हालांकि स्थानीय मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने इसका विरोध भी जताया। इतना ही नहीं मस्जित इंतजामियां(मस्जिद की देखभाल करने वाली कमेट) ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगवाने के लिए हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए सर्वे पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।
मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान वजूखाना में एक ऐसी आकृति मिली है, जिसके शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है। उसकी आकृति भी शिवलिंग से काफी मिलती है। जिसके बाद मस्जित को सील दिया गया। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में नामाज जारी रखने का आदेश सुनाया। जिसके बाद स्थानीय लोग मस्जिद में दोबारा नामाज पढ़ रहे हैं।