कानपुर सीएमओ हरिदत्त नेगी व डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह (डिजाइन फोटो)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में जंग छिड़ी हुई है। राजधानी लखनऊ में 29 मई को आईआरएस योगेन्द्र मिश्र और गौरव गर्ग की मारपीट के बाद अब कानपुर और आजमगढ़ से अफसरों की भिड़ंत के नए मामले सामने आए हैं। कानपुर में डीएम ने CMO को भरी मीटिंग से बाहर का रास्ता दिखा दिया तो आजमगढ़ में DM के ऊपर अधिशाषी अभियंता ने डंडे बरसाने का आरोप लगाया है।
कानपुर में डीएम ने सीएमओ की तनातनी शनिवार को और ज्यादा बढ़ गई। डीएम ने उन्हें मीटिंग से बाहर कर दिया। उधर दूसरी तरफ आजमगढ़ में सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता ने विभागाध्यक्ष को पत्र लिखकर जिलाधिकारी के ऊपर डंडे से पीटने के आरोप लगाए हैं। क्या हैं दोनों मामले? आइए जानते हैं…
दरअसल, कानपुर में कथित तौर पर सीएमओ का एक ऑडियो कुछ दिन पहले वायरल हुआ था। जिसमें किसी से बात करते हुए वह कह रहे हैं कि ‘ये यूपी के 75 जिले में सबसे कमीना डीएम है। ये पहले मीडिया में रह चुका है और तुम तो जानते ही हो कि मीडिया वाले कैसे बढ़ा-चढ़ाकर बोलते हैं। 20 मिनट की मीटिंग को 2 घंटे की कर देता है।’
इसके बाद डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह ने सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी के तबादले के लिए सचिव को पत्र भी लिखा। वहीं, शनिवार को डीएम सभागार में हो रही बैठक में जैसे ही सीएमओ पहुंचे, उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। सीएमओ ने भी कहा कि मुझे भरी मीटिंग से बाहर निकाला गया है। अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कुछ होता है।
दूसरी तरफ आजमगढ़ में अधिशाषी अभियंता अरुण सचदेव ने सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता को पत्र लिखकर जिलाधिकारी की शिकायत की है। पत्र में कहा गया है कि 13 जून की शाम को डीएम ने मुझे कैंप कार्यालय बुलाया। अंदर जाने से पहले उनके स्टेनोग्राफर ने मुझसे मेरा मोबाइल जमा करवा लिया। अंदर जाते ही डीएम ने कहा- तुम खुद को हीरो समझते हो…बड़े हीरो की बनते फिरते हो, मैं तुमसे बड़ा हीरो हूं।
उन्होंने आगे लिखा कि तुम उपजिलाधिकारी को पत्र लिखोगे, तुम्हारी पिटाई होनी चाहिए। इसके बाद जिलाधिकारी ने मुझे पीटने के लिए हाथ उठाया। फिर उन्होंने मुझे डंडे से दो-तीन बार मारा और कहा कि जिस बाप से कहना है कह दो। कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। इसके बाद उन्होंने मुझे कार्यालय से बाहर निकाल दिया।
इन दोनों ताजा मामलों और आयकर विभाग में दो अधिकारियों के बीच हुई मारपीट ने यह साबित कर दिया है यूपी की ब्यूरोक्रेसी में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। फिलहाल यह दोनों ही मामले जांच का विषय हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आगे इन मामलों में क्या कुछ होने वाला है।