
कुलदीप सिंह सेंगर की बेटी ऐश्वर्या सेंगर, फोटो- सोशल मीडिया
Aishwarya Sengar Arguments on Unnao Case: उन्नाव रेप कांड में सजायाफ्ता पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिससे सेंगर की सजा को सस्पेंड किया गया था।, इस कानूनी झटके के बाद सेंगर की बेटियां, ऐश्वर्या और इशिता, अपने पिता को “पाक साफ” बताने के लिए 10 बड़ी दलीलों के साथ सामने आई हैं।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और हाई कोर्ट के फैसले पर रोक सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें सेंगर की दोषसिद्धि (Conviction) को स्थगित किया गया था। अदालत ने इस बात पर चिंता जताई कि क्या निचली अदालत ने पॉक्सो (POCSO) और आईपीसी की धाराओं के तहत दोषसिद्धि का सही परीक्षण किया था। सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से ‘लोकसेवक’ की परिभाषा पर सवाल उठाए और कहा कि न्यायिक समीक्षा का उद्देश्य गलतियों को सुधारना है, न कि बिना ठोस आधार के राहत देना।
ऐश्वर्या और इशिता की 10 प्रमुख दलीलें पिता के पक्ष में खड़ी ऐश्वर्या (मिरांडा हाउस से स्नातक और वकील) और इशिता (डॉक्टर) ने सोशल मीडिया पर तर्क दिए हैं कि उनके पिता को फंसाया गया है। उनकी मुख्य दलीलें इस प्रकार हैं:
1. लोकेशन का दावा: सीडीआर (CDR) के अनुसार, घटना के वक्त सेंगर मौके से 17 किमी दूर थे।
2. उम्र में हेरफेर: बेटियों का आरोप है कि पीड़िता ने खुद को नाबालिग दिखाने के लिए नकली टीसी का इस्तेमाल किया, जबकि एम्स की रिपोर्ट उसे बालिग बताती है।
3. बयानों में विरोधाभास: पीड़िता ने घटना के समय को बार-बार बदला है।
4. नार्को टेस्ट की चुनौती: कुलदीप सिंह सेंगर टेस्ट के लिए तैयार थे, लेकिन पीड़ित पक्ष ने इनकार कर दिया था।
5. सबूतों का अभाव: बेटियों का दावा है कि बलात्कार का कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया है।
उन्नाव प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद पीड़ित विधायक कुलदीप सेंगर की बेटी ऐश्वर्या सिंह ने ANI से बात करते हुए कहा कि हमे क्यो नहीं सुना जा रहा है क्या एक ही पक्ष को सुना जाएगा,हम पिछले 8 साल से सबूतों के साथ न्यायिक लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन सामने वाला पक्ष बेवजह माहौल… pic.twitter.com/b3BwSLLzcl — Lokendra Singh (@LSinghShekhawat) December 29, 2025
6. पॉक्सो पर सवाल: बिना उम्र के पुख्ता प्रमाण के पॉक्सो की धाराएं लगाना गलत है।
7. राजनीतिक रंजिश: पीड़ित पक्ष को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली बताते हुए उनके चाचा को हिस्ट्रीशीटर करार दिया गया है।
8. साजिश का आरोप: सेंगर पर सीधे तौर पर नहीं, बल्कि केवल साजिश की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।
9. दुर्घटना का सच: पीड़िता के रिश्तेदारों की मौत को सीबीआई और आईआईटी दिल्ली ने एक प्राकृतिक दुर्घटना माना था।
10. पूर्वाग्रह की जांच: बेटियों का तर्क है कि ट्रायल कोर्ट ने भी सीबीआई की जांच में पूर्वाग्रह की बात मानी थी।
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ऐश्वर्या सेंगर, जो खुद एक वकील हैं, अपने पिता का केस लड़ रही हैं। उन्होंने भावुक होते हुए यहां तक कहा कि यदि उनके पिता ने पीड़िता की तरफ आंख उठाकर भी देखा हो, तो उन्हें फांसी दे दी जाए। उनका मानना है कि यह पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है और उन्हें सुने बिना ही दोषी मान लिया गया है।






