
बर्ड फ्लू (सोर्स-सोशल मीडिया)
Bird Flu Outbreak In Greater Tokyo: जापान के ग्रेटर टोक्यो क्षेत्र में एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू) का पहला मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। कृषि मंत्रालय ने मंगलवार को साइतामा प्रांत के एक पोल्ट्री फार्म में ‘हाईली पैथोजेनिक’ बर्ड फ्लू के संक्रमण की पुष्टि की है।
इस सीजन में जापान में यह बर्ड फ्लू का 12वां मामला है, जिसने राजधानी टोक्यो के नजदीकी इलाकों में सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। प्रशासन ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावित फार्म की सभी मुर्गियों को नष्ट करने और पूरे क्षेत्र को सैनिटाइज करने के सख्त निर्देश जारी किए हैं।
कृषि मंत्रालय के अनुसार, संक्रमण का केंद्र टोक्यो के उत्तर में स्थित रांजान टाउन का एक बड़ा पोल्ट्री फार्म है। इस फार्म में मौजूद लगभग 2 लाख 40 हजार मुर्गियों को संक्रमण फैलने से रोकने के लिए मारकर दफनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। ग्रेटर टोक्यो क्षेत्र में मामला आने के कारण आसपास के चिबा और कनागावा प्रांतों में भी अलर्ट जारी किया गया है।
मंत्रालय ने महामारी विज्ञान विशेषज्ञों की एक टीम को प्रभावित फार्म पर भेजा है ताकि वायरस के स्रोत का पता लगाया जा सके। यह टीम इस बात की जांच करेगी कि क्या जंगली पक्षियों के माध्यम से यह संक्रमण फार्म तक पहुंचा है। देशभर के सभी पोल्ट्री फार्मों को स्वच्छता के कड़े नियमों का पालन करने और किसी भी संदिग्ध मौत की तुरंत रिपोर्ट करने को कहा गया है।
जापान में बर्ड फ्लू का सीजन आमतौर पर शरद ऋतु से शुरू होता है और वसंत तक जारी रहता है। इस साल अब तक सामने आए 11 मामलों के कारण देश में करीब 36.5 लाख मुर्गियों को पहले ही नष्ट किया जा चुका है। ताजा मामले ने पोल्ट्री उद्योग और अंडे की कीमतों पर दबाव बढ़ने की आशंका पैदा कर दी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, बर्ड फ्लू मुख्य रूप से पक्षियों को प्रभावित करता है लेकिन यह संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने वाले इंसानों में भी फैल सकता है। हालांकि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से नहीं फैलता, लेकिन इसमें मृत्यु दर सामान्य फ्लू की तुलना में बहुत अधिक होती है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, खांसी और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं।
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बर्ड फ्लू का पहला मानव मामला 1997 में हांगकांग में मिला था, जिसके बाद यह दुनिया के कई हिस्सों में फैल गया। इंसानों में इसके लक्षण दिखने में 2 से 17 दिन तक का समय लग सकता है और गंभीर स्थिति में यह निमोनिया का कारण बन सकता है। WHO ने प्रभावित क्षेत्रों में मृत या बीमार पक्षियों से दूर रहने और पोल्ट्री उत्पादों को अच्छी तरह पकाकर खाने की सलाह दी है।






