
धीरेंद्र शास्त्री पर भड़के स्वामी प्रसाद मौर्य (फोटो- सोशल मीडिया)
Swami Prasad Maurya controversial statement on Bageshwar Baba Dhirendra Shastri: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर जुबानी जंग तेज हो गई है और इस बार निशाने पर हैं बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर। अपनी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने आचार्य धीरेंद्र शास्त्री पर अब तक का सबसे तीखा हमला बोला है। उरई में एक यात्रा के दौरान उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह बाबा धर्म की आड़ में नफरत फैला रहा है। मौर्य इतने गुस्से में थे कि उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री पर देशद्रोही जैसा मुकदमा दर्ज कर सीधे जेल भेजने की मांग कर डाली है। उनके इस बयान से सियासी पारा अचानक चढ़ गया है।
शुक्रवार को स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी ‘संविधान सम्मान और जनहित हुंकार यात्रा’ को लेकर उरई पहुंचे थे। यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की आजादी में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी का बराबर का योगदान था। लेकिन आज कुछ लोग हिंदू राष्ट्र के नाम पर आम जनता की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि संविधान से ऊपर कोई नहीं है और हिंदू राष्ट्र की मांग करना संविधान का अपमान है। ऐसे लोगों को देशद्रोही मानते हुए उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
पूर्व मंत्री ने केवल धीरेंद्र शास्त्री को ही नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि जब से केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार आई है, तब से धर्म के नाम पर जनता के बीच गहरी खाई खोदी जा रही है। मौर्य ने कहा कि सनातनियों को एकजुट करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन नफरत फैलाना गलत है। उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा कि आज प्रदेश में दलितों और पिछड़ों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। बेरोजगारी का आलम यह है कि युवा महज 10-20 हजार की नौकरी के लिए अपना घर छोड़ने और पलायन करने को मजबूर हैं।
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यह पहली बार नहीं है जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने बागेश्वर बाबा पर हमला बोला हो। इससे पहले भी उन्होंने टिप्पणी की थी कि देश को बांटने वाली बातें करने वालों को सरकार सुरक्षा मुहैया करा रही है और उन्हें प्रोत्साहित कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार अपराध रोकने में पूरी तरह फेल साबित हुई है। कानून व्यवस्था ध्वस्त है और ऐसे माहौल में नफरत के बीज बोने वाले खुलेआम घूम रहे हैं। मौर्य का मानना है कि ऐसे लोगों की जगह समाज के बीच नहीं, बल्कि जेल की सलाखों के पीछे होनी चाहिए ताकि समाज में शांति बनी रहे।






