संभल के डीएम राजेन्द्र पेंसिया (सोर्स- सोशल मीडिया)
लखनऊ: प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से देश का मिडिल क्लास पूरी तरह से त्रस्त है। स्कूल फीस के साथ महंगी किताबों के बोझ से अभिभावकों का हाल बेहाल है। लेकिन अब पहली बार किसी अधिकारी ने निजी स्कूलों की इस मनमानी पर चाबुक चला है। उत्तर प्रदेश के संभल में जिला अधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने निजी स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है।
संभल के डीएम राजेन्द्र पेंसिया ने निर्देश दिया कि कक्षा 8वीं तक एनसीईआरटी की किताबें पढ़ानी हैं, जबकि कक्षा 9वीं से 12वीं तक एनसीईआरटी की ही किताबें पढ़ाई जाएं। जांच में पाया गया कि अधिकांश स्कूलों ने इस निर्देश का पालन नहीं किया, जिसके कारण बच्चों के परिजनों को महंगी किताबें खरीदनी पड़ीं।
इस मामले का संज्ञान लेते हुए प्रशासन ने ऐसे स्कूलों पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। वहीं, फीस बढ़ाने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और एक साल में सिर्फ 5 फीसदी की बढ़ोतरी का आदेश दिया है। जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया के इस कदम से छात्र और अभिभावक बेहद खुश हैं, वहीं दूसरी ओर निजी स्कूलों का प्रबंधन काफी डरा हुआ है।
एनसीईआरटी की किताबों से आंख-मिचौली खेल रहे सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया गया है। डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने 33 स्कूलों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह धनराशि एक सप्ताह के भीतर जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) कार्यालय में जमा करनी होगी।
यह कार्रवाई 12 अप्रैल 2025 को की गई जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है। रिपोर्ट में स्कूलों में निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें पढ़ाए जाने की जानकारी दी गई थी। स्कूल संचालक निर्धारित पुस्तक विक्रेताओं से ही किताबें खरीदने का दबाव बना रहे थे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाने पर जोर दिया गया है। जिला प्रशासन भी लगातार स्कूल संचालकों से इन्हीं किताबों से पढ़ाने को कह रहा है। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि एनसीईआरटी की किताबें सस्ती होने के साथ-साथ पाठ्यक्रम भी शिक्षा नीति के अनुकूल हैं। लेकिन, जिले के अधिकांश स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताबें खरीदने पर ही जोर दिया जा रहा है।