जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (फोटो- सोशल मीडिया)
Maulana Arshad Madani Remark on I Love Mohammed: देश में चल रही नफरत और बुलडोजर की सियासत के आरोप-प्रत्यारोपों के बीच, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस नफरत का मुकाबला किसी हथियार या गुस्से से नहीं, बल्कि सिर्फ और सिर्फ मोहब्बत से किया जा सकता है। मौलाना मदनी ने जोर देकर कहा कि देश में अमन और एकता बनाए रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है और हमें अपनी पुरानी भाईचारे की परंपरा को फिर से जीवित करना होगा, ताकि नफरत की बढ़ती आग को बुझाया जा सके।
मौलाना मदनी ने मोहब्बत के असली मतलब पर भी रोशनी डाली। उन्होंने साफ किया कि सिर्फ ‘आई लव मोहम्मद’ कह देना ही पैगंबर-ए-इस्लाम से मोहब्बत का सबूत नहीं है। असली मोहब्बत तो तब है जब कोई व्यक्ति पैगंबर की शिक्षाओं, उनके चरित्र और उनके दिखाए रास्ते को अपनी जिंदगी में उतारे। उनके अनुसार, पैगंबर की सीरत और सूरत को अपनाना ही उनसे सच्ची मोहब्बत का प्रतीक है, और यही मोहब्बत समाज में फैली कड़वाहट को दूर कर सकती है।
देवबंद के प्रमुख आलिम मौलाना मदनी ने परेड मैदान में आयोजित एक जलसे को संबोधित करते हुए कहा कि पहले तो मुल्क में नफरत के बीज बोए जा रहे थे, लेकिन अब वे एक बड़े पेड़ का रूप ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि नफरत का बाजार इसलिए गर्म है क्योंकि इसे फैलाने वालों के हाथ में आज ताकत है। ऐसी स्थिति में मुसलमानों को सब्र से काम लेना चाहिए और बिना किसी मजहबी भेदभाव के केवल इंसानियत, मोहब्बत और एक-दूसरे की मदद का पैगाम आम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यही वह रास्ता है जिससे देश में शांति लौट सकती है।
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मौलाना मदनी ने याद दिलाया कि हजरत मोहम्मद ने हमें प्यार और मोहब्बत का दीन दिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि हमारे आपसी भाईचारे से एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब यह मुल्क अपनी भाईचारे की पुरानी गौरवशाली तारीख को फिर से दोहराएगा। इस जलसे में जमीयत के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना अशहद मदनी, संयोजक हाफिज अब्दुल कुद्दूस, मासूम साकिब और मौलाना अब्दुल कासिम नोमानी ने भी अपनी बात रखी और देश में अमन-चैन बनाए रखने की अपील की।