योगी आदित्यनाथ (संदर्भ चित्र)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की बेटियों के लिए योगी सरकार बड़ी खुशखबरी लेकर आने वाली है। यहां विवाहित बेटियों को पिता की कृषि भूमि में अधिकार देने की तैयारी है। अभी हिस्सेदारी का प्रतिशत भले ही तय नहीं हुआ है, लेकिन राजस्व परिषद ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसे जल्द ही मंजूरी के लिए योगी कैबिनेट में ले जाया जाएगा।
कैबिनेट से पास होते ही राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो 2027 के चुनाव से पहले महिला वोट बैंक को लुभाने के लिए सरकार का यह कदम गेमचेंजर साबित हो सकता है। विपक्षी दलों के पास इसकी काट भी नहीं मिलेगी!
अभी राजस्व संहिता की धारा 108 के तहत पिता की कृषि भूमि पर पहला अधिकार बेटे और पत्नी का होता है। बेटा न होने पर पत्नी और अविवाहित बेटी का अधिकार होता है। बेटा, पत्नी और अविवाहित बेटी न होने पर पिता की कृषि भूमि पर विवाहित बेटी को ही अधिकार मिलता है। यूपी में बेटा, पत्नी और अविवाहित बेटी होने की स्थिति में विवाहित बेटी को पिता की संपत्ति (कृषि भूमि) में अधिकार नहीं मिलता है। जबकि, यूपी के पड़ोसी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश में विवाहित बेटी को पिता की कृषि भूमि में बराबर का हिस्सा देने का नियम है।
कानून के जानकारों का कहना है कि राजस्व परिषद के प्रस्ताव पर पहले विधि एवं न्याय विभाग की भी रायशुमारी की जाएगी। उसके बाद विधायी विभाग से भी सलाह-मशविरा किया जाएगा। वित्त विभाग से एनओसी यानी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट मिलने के बाद प्रस्ताव कैबिनेट में पेश किया जाएगा।
कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्रस्ताव को विधानमंडल के दोनों सदनों से पारित कराना होगा। विधानमंडल की मंजूरी के बाद राज्यपाल की मंजूरी ली जाएगी। उसके बाद राजस्व संहिता में संशोधन कर इस नियम को लागू किया जाएगा। जिस दिन से यह नियम लागू होगा, उसके बाद जो उत्तराधिकार निर्धारित होगा, उसमें ही विवाहित बेटी को इसका लाभ मिल सकेगा।
जानकारों का मानना है कि अगर बेटी की शादी के बाद उसके पति की मौत हो जाती है या फिर उसका तलाक हो जाता है, ऐसी स्थिति में वह कृषि भूमि में अधिकार न मिलने से असहाय हो जाती है। राजस्व परिषद में अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं, जब विवाहित बेटियां पिता की कृषि भूमि में अधिकार पाने की गुहार लगाती हैं। लेकिन राजस्व संहिता में प्रावधान न होने से अधिकारी भी नियमों का हवाला देकर लाचारी जता देते हैं।
उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के चेयरमैन अनिल कुमार ने विवाहित बेटियों को पिता की कृषि भूमि में अधिकार दिलाने का मसौदा तैयार किया है। सूत्रों के मुताबिक सरकार की सैद्धांतिक सहमति के बाद ही इसे तैयार किया गया है। इसके तहत विवाहित बेटी भी अपने पिता की कृषि भूमि में हिस्सा पा सकेगी। हालांकि यह हिस्सा कितना होगा? यह सीएम योगी की मंजूरी के बाद ही पता चलेगा।
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जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव 2027 से पहले महिलाओं को लुभाने की दिशा में यह बड़ा कदम होगा। सरकार महिलाओं के वोट बैंक को सुनिश्चित करने की योजना पर विचार कर रही है। ऐसे में विवाहित बेटियों को पिता की कृषि भूमि में अधिकार देकर सरकार को राजनीतिक लाभ मिल सकता है। सरकार ने हाल ही में महिलाओं के नाम जमीन और संपत्ति की रजिस्ट्री कराने पर स्टांप ड्यूटी में छूट का प्रावधान भी किया है। राजस्व परिषद ने स्टांप रजिस्ट्रेशन विभाग को भी परिषद के अधीन करने का प्रस्ताव तैयार किया है।
राजस्व बार एसोसिएशन लखनऊ के अध्यक्ष संतोष त्रिपाठी कहते हैं कि इस फैसले के दूरगामी परिणाम अच्छे नहीं होंगे। वर्तमान में कृषि भूमि में विवाहित बेटी को अधिकार न होने से भाई-बहन के बीच रिश्ते मजबूत बने हुए हैं। भाई अपनी बहन को त्योहारों और शादियों में बहुत कुछ देता है। बेटी को कृषि भूमि में अधिकार देने से दोनों के बीच संपत्ति विवाद शुरू हो जाएगा।