मुख्तार अब्बास नकवी (सोर्स-सोशल मीडिया)
लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के कमजोर प्रदर्शन के पीछे मुस्लिम वोटर्स का एकजुट होकर विपक्षी दलों को सपोर्ट करना अहम कारण बताया गया। जबकि बीजेपी ने मुस्लिम वोटर्स को लुभाने के भरसक प्रयास भी किए थे। लेकिन बीजेपी ने अब भी हिम्मत नहीं हारी है। उत्तर प्रदेश में उपचुनाव से पहले बीजेपी एक बार फिर से उन्हें लुभाने की कोशिश में जुट गई है।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने गुरुवार को मुस्लिम समुदाय से आह्वान किया कि वह तथाकथित ‘सेक्युलर सिंडीकेट’ के जाल से बाहर निकले और भाजपा को नकारने के बजाय उसका समर्थन करे। लखनऊ में आयोजित भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे की सदस्यता अभियान प्रांतीय कार्यशाला में अपने संबोधन में नकवी ने कहा कि सामन्ती सुल्तानों के तथाकथित सेकुलर सिंडीकेट के दुष्प्रचार से पैदा हुए भय-भ्रम के चलते एक राष्ट्रीय राष्ट्रवादी राजनीतिक दल के साथ अस्पृश्यता व असहिष्णुता के रवैये को विश्वास में बदलना ही वक्त की मांग है।’
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मुख्तार ने कहा कि मुसलमान भाजपा को नकारने के बदले उसका समर्थन करें। पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा के साथ हमारी (मुस्लिम समाज) आंख मिचौली से कुछ लोगों का काम बन रहा है और हमारा काम बिगड़ रहा है, इसका नतीजा यह हुआ है कि तथाकथित सेक्युलर सिंडिकेट मुसलमानों को अपने वोटों को अपनी जागीर समझ बैठा है। नकवी ने कहा कि दशकों से चले आ रहे मुसलमानों के ‘भाजपा हराओ रिवाज को भाजपा जिताओ मिजाज’ में बदलने के लिए हमें समाज के भय-भ्रम को भरोसे में बदलने के लिए भरसक प्रयास करना होगा।
उन्होंने कहा कि जब भाजपा किसी के विकास में कमी नहीं करती तो उसे वोट देने में कंजूसी करना नाजायज है। उन्होंने कहा कि भाजपा और मोदी-योगी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) ने ‘तुष्टीकरण के सियासी छल को सशक्तिकरण के समावेशी बल’ से ध्वस्त करके समावेशी विकास और सर्वस्पर्शी सशक्तिकरण पर जोर दिया है, साथ ही वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत किया है। नकवी ने आगाह करते हुए कहा कि हमें सोशल नेटवर्किंग साइट्स के साम्प्रदायिक, समाज को तोड़ने वाले दुष्प्रचारों से भी सचेत रहना होगा।
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पूर्व मंत्री ने वक़्फ संशोधन विधेयक का जिक्र करते हुए कहा कि वक़्फ व्यवस्था में व्याप्त अराजकता को संवैधानिक व्यवस्था के दायरे में लाना वक्त की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक पर विचार के लिये गठित संयुक्त संसदीय समिति में जारी मंथन से कुछ बेहतर होगा। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नेहरू-इन्दिरा से ज्यादा लोकतांत्रिक मूल्यों, संवैधानिक मर्यादाओं और पंथनिरपेक्षता के झंडाबरदार हैं, इसके लिए किसी ‘सेक्युलर सिंडीकेट’ के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है।