अखिलेश यादव व राहुल गांधी (कॉन्सेप्ट फोटो)
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर मे चुनावी मौसम अंगड़ाइयां ले रहा है। केसर की क्यारी में इंतखाब की तैयारी हो रही है। इसी को लेकर बीजेपी के अलावा बाकी मुल्क की दो बड़ी सियासी पार्टियों के बीच के बीच फूट के आसार दिखाई दे रहे हैं। चर्चा है कि जम्मू-कश्मीर का चुनाव शमशीर बनकर दोनों पार्टियों के गठबंधन को दो फाड़ कर सकती है। इसके पीछे एक ख़बर के साथ राजनीतिक विश्लेषकों के अपने-अपने तर्क हैं।
जम्मू-कश्मीर में 6 साल बाद चुनावों का ऐलान हो गया है। राज्य की 90 सीटों पर तीन चरणों में वोटिंग होगी। पहले चरण के लिए 18 सितंबर को मतदान होगा, जबकि दूसरे फेज के लिए 25 सितंबर को वोट डाले जाएंगे। तीसरे और आखिरी चरण के लिए 1 अक्टूबर को जनता जनादेश देगी। वहीं, चुनाव परिणाम 4 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।
दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी समाजवादी पार्टी भी कश्मीर के चुनावी कुरुक्षेत्र में ताल ठोंकने के लिए बेताब दिखाई दे रही है। यही वजह है कि पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं। अखिलेश यादव अब सपा को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने के साथ ही अन्य राज्यों में भी अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं। यही वजह है कि यूपी में कांग्रेस को सीटें देने के नाम पर वह हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव लड़ना चाहते हैं, वहीं जम्मू-कश्मीर के लिए भी सपा मुखिया ने नई रणनीति तैयार की है।
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अखिलेश यादव ने हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव के साथ ही जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव लड़ने की तैयारी की है। इसके लिए सपा नेता जियालाल वर्मा को जम्मू-कश्मीर का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। सपा यहां सात सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। सपा अध्यक्ष ने निर्देश दिए हैं कि इन सीटों पर मजबूत प्रत्याशियों के नामों की सूची तैयार की जाए और पार्टी के संगठन की जमीन तैयार करने पर जोर दिया है।
सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के मुताबिक, सपा पहले भी जम्मू-कश्मीर में चुनाव लड़ चुकी है। पूर्व विधायक और सांसद शेख अब्दुल रहमान जम्मू-कश्मीर में सपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पार्टी का संगठन सालों से यहां काम कर रहा है। इसलिए अब सपा ने इस चुनाव में उतरने की तैयारी कर ली है। जियालाल वर्मा का कहना है कि प्रत्याशियों की सूची तैयार की जा रही है और सपा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद इसकी घोषणा की जाएगी।
कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। 90 में से 51 सीटों पर फारूख अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ताल ठोंकेगी तो वहीं 32 सीटों पर कांग्रेस के सिपहसालार मैदान लेंगे। इसके अलावा 2 सीटों पर सीपीआई (एम) और पैंथर्स पार्टी लड़ेगी। वहीं, 5 सीटों को लेकर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। चर्चा है कि इन सीटों पर कांग्रेस-एनसी की फ्रेंडली फाइट होगी।
यही वजह है कि कहा ये जा रहा है कि सपा राज्य में कांग्रेस के कोटे से सीटें चाहेगी। कांग्रेस के हिस्से में वैसे भी 32 सीटें ही आई हैं। ऐसे में यदि सपा कांग्रेस से 7 सीटें मांगती है तो उसे देने में दिक्कत होना लाजमी है। इसीलिए माना ये जा रहा है कि कश्मीर चुनाव सपा-कांग्रेस की कलह की जड़ बन सकता है। बाकी कहावत है कि जंग और मुहब्बत में सब जायज है वह कभी सच होते शायद ही आपने कभी देखी हो, लेकिन सियासत में सबकुछ जायज है यह सच होते हुए कई बार देख चुके होंगे।
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