ममता बनर्जी का प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार किया गया (सोर्स- वीडियो)
अयोध्या: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में नए वक्फ कानून के खिलाफ भड़के विरोध प्रदर्शन ने भयावह रूप ले लिया है। इस दौरान हुई हिंसा में पिता-पुत्र की नृशंस हत्या के बाद स्थिति और भी गंभीर हो गई है। कई हिंदू परिवार अपना घर छोड़कर दूसरे जिलों में शरण ले चुके हैं, जिससे इलाके में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया है। इस बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गए हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पूरी घटना के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि वक्फ संशोधन कानून ने राज्य में स्थिति को और खराब कर दिया है। उनका कहना है कि राज्य सरकार ने स्थिति को संभालने के लिए हर संभव प्रयास किया है, लेकिन यह कानून अपने आप में विवादास्पद है।
वहीं, राम नगरी अयोध्या में ममता बनर्जी के खिलाफ अनोखा और प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन किया गया। स्थानीय संतों और प्रदर्शनकारियों ने ममता बनर्जी की प्रतीकात्मक चिता सजाई और धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ चिता को जलाकर उनका ‘अंतिम संस्कार’ किया।
प्रदर्शनकारी संतों का आरोप है कि ममता बनर्जी की सरकार ने हिंदुओं की सुरक्षा को नजरअंदाज किया है और तुष्टीकरण की राजनीति के चलते दंगाइयों को संरक्षण दिया गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना ममता सरकार के लिए राजनीतिक संकट बनकर उभर रही है, खासकर तब जब विपक्षी दल लगातार हिंदू सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर सरकार को घेर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में हिंदू नर संहार और हिन्दू पलायन की जिम्मेदार टीएमसी प्रमुख मुख्यमंत्री बंगाल ममता बनर्जी की निर्दयता निर्ममता एवं अलोकतांत्रिक असंवैधानिक प्रक्रिया को अयोध्या के शमशान घाट पर मुखाग्नि दिया और हिंदुओं का आह्वान करते हुए संगठित होने का आग्रह किया #Bangal… pic.twitter.com/m9r1O5KTBD — दिवाकराचार्य महाराज (@divakracharya) April 20, 2025
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और अन्य जिलों में हिंदू परिवारों पर हो रहे हमलों और कथित धार्मिक अत्याचारों को लेकर अयोध्या से लेकर दिल्ली तक संत समुदाय मुखर हो गया है। हिंसा और विस्थापन की खबरों के बीच ममता बनर्जी सरकार को अब संतों और हिंदू संगठनों के तीव्र प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है।
विश्व हिंदू परिषद द्वारा शुरू किए गए देशव्यापी आंदोलन के बाद अब संत समुदाय ने भी मोर्चा खोल दिया है। अयोध्या में ममता बनर्जी की प्रतीकात्मक चिता सजाई गई, वहीं देश के कई हिस्सों में प्राण रक्षा यज्ञ और शांतिपाठ का आयोजन किया जा रहा है, जो साफ संदेश है कि हिंदू समाज अब चुप नहीं बैठेगा।
ममता बनर्जी का प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार करते हुए दिवाकराचार्य महाराज ने कहा, ‘अयोध्या से मैं, सत्य सनातन धर्म प्रचारक दिवाकराचार्य महाराज और मेरे साथ अयोध्या के प्रमुख संत-महंतों ने मिलकर पश्चिम बंगाल में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी की अलोकतांत्रिक और अवैधानिक प्रक्रिया का अयोध्या श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया है।’
पूरे देश से हिंदुओं को संगठित करके हमने पश्चिम बंगाल के हिंदुओं को यह संदेश देने का काम किया है कि 21वीं सदी का युवा डरता नहीं बल्कि डराता है, भागता नहीं बल्कि भागता है। पश्चिम बंगाल के हिंदुओं को एकजुट होकर ममता बनर्जी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए काम करना चाहिए।
साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति से यह भी आग्रह किया कि ममता जिस उद्देश्य से काम कर रही हैं, उससे एक बात स्पष्ट है कि वह पश्चिम बंगाल को हिंदू विहीन बनाना चाहती हैं, इसे ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल को मिनी पाकिस्तान बनने से पहले वहां राष्ट्रपति शासन लागू करें और ममता बनर्जी के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करें।’
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’21वीं सदी का संत अब भागने में नहीं, भगाने में विश्वास करता है।’ यह बयान न केवल गुस्से का इजहार है बल्कि राजनीतिक चेतावनी भी है कि अगर हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई तो विरोध एक आंदोलन का रूप ले सकता है। केंद्र सरकार और अदालतों के निशाने पर पहले से ही ममता बनर्जी को अब धार्मिक नेतृत्व का भी विरोध झेलना पड़ रहा है। भाजपा समेत कई हिंदू संगठनों ने उनकी तुष्टीकरण नीति और वक्फ संशोधन अधिनियम के प्रति उदासीनता के लिए उन्हें ‘हिंदू विरोधी’ करार दिया है।