बाढ़ से कारण सड़कों पर हो रहा अंतिम संस्कार, फोटो: सोशल मीडिया
Uttar Pradesh Flood Update: उत्तर प्रदेश में गंगा नदी का रौद्र रुप जारी है। गाजीपुर, प्रयागराज और वाराणसी जिलों में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चल रहा है। गाजीपुर जिले की पांच तहसीलों के करीब 60 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। गांवों में पानी भर जाने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि गाजीपुर और वाराणसी के साथ-साथ प्रयागराज केअधिकांश श्मशान घाट पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। ऐसे में शवों के अंतिम संस्कार के लिए लोग अब सड़कों और रिहाइशी इलाकों का सहारा ले रहे हैं। गाजीपुर में रोजाना मऊ, बलिया, आजमगढ़ समेत आसपास के जिलों से आने वाले 15–20 शवों की अंत्येष्टि अब गांवों की गलियों और पक्की सड़कों पर हो रही है। चिताओं से उठने वाला धुआं आसपास के रहवासियों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन गया है। यही हाल अन्य जिलों का है।
अंत्येष्टि के लिए आने वाले लोगों को न तो बैठने की उचित व्यवस्था मिल रही है, न ही किसी प्रकार की प्राथमिक सुविधा। लोगों का कहना है कि वैकल्पिक श्मशान घाट की व्यवस्था न होने के कारण उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। स्थानीय नागरिकों ने जिला प्रशासन और नगर पालिका पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि जलस्तर बढ़ने की जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए।
नगर पालिका गाजीपुर के अधिशासी अधिकारी धीरेंद्र कुमार राय ने कहा कि बाढ़ग्रस्त इलाकों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए टैंकर लगाए गए हैं, सफाई व्यवस्था में तेजी लाई जा रही है और संक्रमण से बचाव के लिए ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि चिताओं की राख को नष्ट करने का कार्य भी नगर पालिका कराएगी।
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स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासनिक प्रयास नाकाफी हैं। बाढ़ ने जहां लोगों के रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित किया है, वहीं मृतकों की अंतिम यात्रा भी कठिन बना दी है। लोगों ने जिला प्रशासन से तत्काल वैकल्पिक श्मशान घाट और राहत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है ताकि मानवीय स्थितियों को और बदतर होने से रोका जा सके।
IANS इनपुट के साथ