जलवायु परिवर्तन का पर्यटन क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव (सौ. सोशल मीडिया)
Climate Change Impact on Tourism: पर्यटन किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योदगान देता है। जिसकी वजह से देश की कई आबादी अपने जीवन का यापन अच्छे से कर पाती है। लेकिन जिस प्रकार जलवायु परिवर्तन हो रहा है उसका दुष्प्रभाव हर जगह देखने को मिल रहा है। इसका प्रभाव पर्टयन क्षेत्र पर भी आसानी से देखा जा सकता है। इसकी वजह से कई तरह की समस्याएं भी देखने को मिल रही है। आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह जलवायु परिवर्तन किस तरह से पर्टयन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
मरते हुए कोरल रीफ से लेकर पिघलते ग्लेशियर तक, हम पहले से ही पर्यटन पर जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभाव को देख रहे हैं। बढ़ता तापमान, चरम मौसम की घटनाएँ और पर्यावरण क्षरण उद्योग के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करते हैं। जैसे वियतनाम, म्यांमार, थाईलैंड और फिलीपींस पिछले दो दशकों में जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित दस देशों में से हैं।
पर्यटन एशिया के आर्थिक आय और रोजगार के सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक है, जो कंबोडिया, थाईलैंड और फिलीपींस जैसे देशों के सकल घरेलू उत्पाद में 20% से अधिक का योगदान देता है। लेकिन, अनियंत्रित जलवायु परिवर्तन इन देशों की पारिस्थितिकी और सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुंचा रही है, जिससे लाखों लोगों की आजीविका खतरे में पड़ रही है।
जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ रहा है खतरनाक गर्मी की वजह से पर्यटकों की संख्या उतनी ही कम होती जा रही है। उदाहरण के लिए इंडोनेशिया में तापमान और आर्द्रता में हर 1% की वृद्धि से अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या में क्रमशः 1.37% और 0.59% की गिरावट आ रही है। अत्यधिक गर्मी पृथ्वी की प्राकृतिक धरोहरों को भी नुकसान पहुंचा रही है जो पर्यटकों और यात्रियों को आकर्षित करती हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण 1995 से ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ के आधे कोरल गायब हो गए हैं और एशिया के कई समुद्र तटों और कोरल रीफ को गंभीर नुकसान पहुंचा है। जिसमें इंडोनेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड के भी महत्वपूर्ण कोरल ब्लीचिंग शामिल है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण एशिया में तूफान और बाढ़ अधिक तीव्र और लगातार होते जा रहे हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय पर्यटक और स्थानीय आय प्रभावित हो रही है। मौसम की घटनाओं के संदर्भ में, तूफान और बाढ़ पर्यटन की मांग और पर्यटन के बुनियादी ढांचे के लिए विशेष रूप से हानिकारक हो सकते हैं, क्योंकि इसका प्रभाव महीनों और यहां तक कि सालों तक बना रह सकता है। उदाहरण के लिए, पर्यटन प्यूर्टो रिको की अर्थव्यवस्था का 6.5% हिस्सा है। हालांकि, 2017 में आए तूफान मारिया ने द्वीप को तबाह कर दिया था और 2019 में द्वीप पर आने वाले पर्यटकों की संख्या 2016 के स्तर से 36% कम थी। जिसकी वजह से वहां की अर्थव्यवस्था लगभग पूरी तरह से चरमरा गई थी।
इसके अलावा सांस्कृतिक विरासत भी तूफान और बाढ़ के कारण खतरे में है। दक्षिण पूर्व एशिया में कम से कम तीन यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों को अत्यधिक संवेदनशील के रूप में पहचाना गया है। इनमें वियतनाम के ऐतिहासिक शहर होई एन में भूस्खलन, साथ ही इंडोनेशिया में कोमोडो नेशनल पार्क और फिलीपींस में कॉर्डिलेरा चावल टेरेस पर भी प्रभाव देखने को मिला है। जकार्ता, बैंकॉक और मुंबई समेत एशिया के कुछ प्रतिष्ठित महानगरों पर गंभीर और बढ़ता हुआ खतरा मंडरा रहा है।
जलवायु परिवर्तन के कारण मुंबई पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। अगर समय रहते इस बात का ध्यान नहीं रखा गया तो साल 2050 तक दक्षिण मुंबई का करीब 70 फीसदी हिस्सा पानी में डूब जाएगा। यह आशंका बीएमसी आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने जताई है। इसे देखते हुए जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बढ़ रहे हैं, उस हिसाब से आने वाले समय में आने वाले खतरों और चुनौतियों से निपटने के लिए समाधानों को भी बढ़ाना होगा। ताकि जान मान की हानि न हो और पर्यटन भी जस का तस बना रहे।