भारत माता का मंदिर (सौ. सोशल मीडिया)
वाराणसी: भारत में कई प्रसिद्ध और अनोखे मंदिर है जहां पर अक्सर लोगों की भीड़ लगती है। लेकिन उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक ऐसा मंदिर है जहां पर भारत माता की पूजा की जाती है। यह एकमात्र मंदिर है जहां पर देश की विरासत को संभालकर रखा गया है। इस मंदिर की भव्यता और प्राचीनता को देखने के लिए लोग विदेशों से भी दर्शन के लिए आते हैं। यहां पर अखंड भारत के मानचित्र की पूरी श्रद्धा से पूजा की जाती है। यह मंदिर इतना पवित्र माना जाता है कि बिना जूते चप्पल के यहां पर प्रवेश नहीं किया जा सकता है।
जानकारी के अनुसार इस मंदिर की नींव 2 अप्रैल 1926 को भारतरत्न डॉ. भगवान दास ने रखी थी। इस मंदिर को बनाने के लिए काशी के दुर्गा प्रसाद तैयार हुए। भारत माता का यह मंदिर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर में स्थित है। इस मंदिर का पूरा होने में पांच से छह साल का समय लगा। इसका उद्घाटन महात्मा गांधी ने 25 अक्टूबर 1936 को वाराणसी में किया था। यहां पर भारत माता के अविभाजित नक्शे को पूजा जाता है। यह भारतीयों के लिए गर्व का प्रतीक है। इसमें अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, बर्मा और श्रीलंका को मकराना पत्थर पर उकेरा गया है।
इस नक्शे में पर्वत, पहाड़ों, झील, नहरों और टापुओं सहित वर्तमान काल के नगरों, तीर्थस्थलों और प्रांतों के नाम को बखूबी दर्शाया गया है। यहां पर उत्तर में पामीर, तिब्बत, तुर्किस्तान, पूर्व में ब्रह्मा देश, मलय प्रायद्वीप, चीन की दीवार, बंगाल की खाड़ी व अरब सागर को बखूबी दिखाया गया है। इस मंदिर के दरवाजे पर बड़े अक्षरों में राष्ट्रीय गीत लिखा गया है।
इस अखंड भारत माता के मंदिर को साल में दो बार खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है। इसे गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर खास तरीके से डेकोरेट किया जाता है। बता दें कि इस नक्शे में समुद्र वाले हिस्से को पानी से भर दिया गया है। साथ ही मैदानी भाग को घास और फूलों से सजाया जाता है। यह दिखने में बहुत ही खास लगता है।
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