Sunita williams के शरीर पर हुआ कैसा असर। (सौ. X)
नवभारत साइंस डेस्क: अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता “सुनी” विलियम्स और बैरी “बुच” विलमोर 5 जून 2024 को बोइंग स्टारलाइनर कैलीप्सो से अंतरिक्ष की यात्रा पर गए थे। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर केवल आठ दिन बिताने थे, लेकिन जब उनका यान स्टेशन के करीब पहुँचा, तो उसके थ्रस्टर में खराबी आ गई। इसके चलते नासा ने दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को ISS पर ही रुकने का निर्देश दिया।
यह मिशन पूरे 288 दिनों यानी नौ महीनों तक चला, जिससे विलियम्स और विलमोर नासा के सबसे लंबे एकल मिशन पर रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल हो गए।
ISS पृथ्वी से 354 किमी की ऊँचाई पर स्थित है, जबकि मंगल ग्रह की औसत दूरी 225 मिलियन किमी है। नासा के अंतरिक्ष यात्री फ्रैंक रुबियो ने सबसे लंबी अवधि के लिए ISS पर एक साल से अधिक समय बिताया था।
वहीं, सबसे लंबी एकल अंतरिक्ष उड़ान का रिकॉर्ड रूसी अंतरिक्ष यात्री वैलेरी पोल्याकोव के नाम है, जिन्होंने मीर अंतरिक्ष स्टेशन पर 437 दिन बिताए थे।
स्पेसएक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट 18 मार्च को 05:05 GMT पर ISS से अलग हुआ और लगभग 21:57 GMT (स्थानीय समयानुसार 5:57 PM) पर फ्लोरिडा के तट पर महासागर में सफलतापूर्वक लैंड कर गया।
विलियम्स और विलमोर के साथ रूस के रोस्कोस्मोस अंतरिक्ष यात्री अलेक्जेंडर गोर्बुनोव भी पृथ्वी पर लौटे। नासा ने इस ऐतिहासिक वापसी की लाइव कवरेज भी दी।
शून्य गुरुत्वाकर्षण में महीनों तक रहने से शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं। हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं, मांसपेशियाँ सिकुड़ जाती हैं, और शरीर के तरल पदार्थ असंतुलित हो जाते हैं।
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अंतरिक्ष से लौटते ही शरीर को गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल होने में समय लगता है।