बिटकॉइन की तलाश में क्या हुआ। (सौ. Freepik)
वेल्स के न्यूपोर्ट शहर में रहने वाले आईटी इंजीनियर जेम्स हाउल्स ने 2013 में अनजाने में एक ऐसी गलती कर दी, जिसकी भरपाई शायद ही मुमकिन हो। उन्होंने एक पुरानी हार्ड ड्राइव कूड़े में फेंक दी, जिसमें उनके 8,000 बिटकॉइन की ‘प्राइवेट की’ सेव थी। उस समय भले ही बिटकॉइन को गंभीरता से नहीं लिया जाता था, लेकिन आज इनकी कीमत करीब 6,000 करोड़ रुपये के आसपास पहुंच चुकी है।
जेम्स ने उस दौर में बिटकॉइन को एक डिजिटल प्रयोग मानकर चलताऊ रवैया अपनाया। ऑफिस की सफाई करते हुए उन्होंने एक पुरानी हार्ड ड्राइव को कचरे में डाल दिया, यह सोचकर कि उसमें कुछ काम का नहीं है। लेकिन कुछ ही समय बाद जैसे-जैसे बिटकॉइन की कीमतें बढ़ने लगीं, उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ।
जेम्स ने उस हार्ड ड्राइव को ढूंढने का पूरा खाका तैयार किया। ड्रोन, रोबोट और अत्याधुनिक सेंसर की मदद से लैंडफिल साइट की खुदाई की योजना बनाई गई। जेम्स ने इसके लिए सारा खर्च खुद उठाने की पेशकश भी की। लेकिन उन्हें चाहिए थी बस स्थानीय प्रशासन की मंजूरी।
न्यूपोर्ट सिटी काउंसिल ने खुदाई की इजाजत देने से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना था कि इससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो सकता है। साथ ही ब्रिटिश कानून के अनुसार, एक बार कोई वस्तु लैंडफिल में डाल दी जाए तो वो अब व्यक्तिगत नहीं, बल्कि साइट की संपत्ति मानी जाती है।
जेम्स ने न्यायालय का रुख किया, लेकिन 2024 में ब्रिटिश कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि अब उस हार्ड ड्राइव को ढूंढने या उसके काम करने की संभावना ना के बराबर है।
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हालांकि बिटकॉइन शायद न मिलें, लेकिन जेम्स की ये अनोखी कहानी अब पर्दे पर देखने को मिलेगी। लॉस एंजेलेस की एक कंपनी इस पर डॉक्युमेंट्री, पॉडकास्ट और वीडियो सीरीज़ बना रही है, जिसका नाम होगा “The Buried Bitcoin”। ये सीरीज 2025 के अंत तक रिलीज होने की उम्मीद है।
जेम्स कहते हैं, “अब पूरी दुनिया को पता चलेगा कि मैं कोई पागल सपना नहीं देख रहा था, बल्कि मेरे पास एक ठोस योजना थी।” तकनीक और समय शायद फिर कभी उनके पक्ष में हों, इस उम्मीद के साथ वो आज भी इंतजार में हैं।