Russia में बैन हुआ WhatsApp और Telegram. (सौ. Freepik)
Russia WhatsApp Telegram ban: रूस ने लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप्स Telegram और WhatsApp पर कॉल सेवाओं को आंशिक रूप से सीमित करने की घोषणा की है। यह निर्णय इंटरनेट पर सरकारी नियंत्रण को मजबूत करने की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। सरकारी मीडिया और इंटरनेट नियामक Roskomnadzor के अनुसार, यह कदम अपराध और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए उठाया गया है।
Roskomnadzor का कहना है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों और नागरिकों से मिली शिकायतों में इन विदेशी मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स का उपयोग धोखाधड़ी, पैसों की उगाही, तोड़फोड़ और आतंकी गतिविधियों में लोगों को शामिल करने के लिए किया जा रहा है। एजेंसी के मुताबिक, प्लेटफॉर्म मालिकों को कई बार कड़े कदम उठाने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने अनदेखी की। फिलहाल दोनों कंपनियों ने इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
पिछले कुछ वर्षों में रूस ने इंटरनेट नियंत्रण के लिए कई कठोर कदम उठाए हैं — सख्त कानून लागू करना, गैर-अनुपालन करने वाली वेबसाइट्स को ब्लॉक करना और ऑनलाइन ट्रैफिक की निगरानी के लिए उन्नत तकनीक विकसित करना। हालांकि VPN के जरिए लोग पाबंदियां पार कर लेते हैं, लेकिन रूस समय-समय पर इन सेवाओं को भी ब्लॉक कर देता है।
इस वर्ष गर्मियों में, सरकार ने बड़े पैमाने पर मोबाइल इंटरनेट शटडाउन किए और एक नया कानून लागू किया, जिसके तहत गैर-कानूनी कंटेंट की खोज करने पर यूज़र्स को सजा मिल सकती है। इसके साथ ही WhatsApp पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई और एक नया राष्ट्रीय मैसेजिंग ऐप MAX लॉन्च किया गया। पिछले हफ्ते से ही कॉल कनेक्ट न होने और आवाज की खराब गुणवत्ता की शिकायतें सामने आ रही थीं।
ये भी पढ़े: UIDAI का नया E Aadhaar ऐप: घर बैठे पूरे होंगे Aadhaar से जुड़े चार बड़े काम
Mediascope के अनुसार, जुलाई 2025 में WhatsApp के 9.6 करोड़ और Telegram के 8.9 करोड़ मासिक सक्रिय यूज़र्स थे। Telegram पहले भी 2018–2020 के बीच प्रतिबंध झेल चुका है, हालांकि वह पूरी तरह असफल रहा। 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद रूस ने Facebook और Instagram को बैन कर दिया था, और उनकी पैरेंट कंपनी Meta को ‘चरमपंथी संगठन’ घोषित किया।
MAX को सरकारी सेवाएं, पेमेंट विकल्प और सुरक्षित मैसेजिंग प्रदान करने वाला प्लेटफॉर्म बताया जा रहा है। जुलाई तक इसमें 20 लाख यूज़र्स रजिस्टर्ड थे। इसकी शर्तों के अनुसार, यूज़र डेटा जरूरत पड़ने पर अधिकारियों को सौंपा जाएगा। एक नए कानून के तहत, रूस में बिकने वाले हर स्मार्टफोन में इसे पहले से इंस्टॉल करना अनिवार्य होगा। सरकारी संस्थानों और व्यवसायों को इस प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।