
Robot का क्या है सच। (सौ. Pixabay)
Greek Robot Legend: आज के दौर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI इंसानों के जटिल से जटिल काम मिनटों में कर रहा है। हेल्थ, एजुकेशन, डिफेंस से लेकर एंटरटेनमेंट तक AI ने तकनीक की दुनिया को पूरी तरह बदल दिया है। आमतौर पर माना जाता है कि AI की शुरुआत 1950 के दशक में हुई, लेकिन इतिहास के पन्ने कुछ और ही कहानी कहते हैं। कई विद्वानों का मानना है कि इंसानों ने AI की कल्पना आज से करीब 2500 साल पहले ही कर ली थी।
यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड के प्रोफेसर नोएल शार्की, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च स्कॉलर एड्रिएन मेयर, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के स्टीफन केव और स्टैनफोर्ड के प्रोफेसर टॉम एस। मुलैनी जैसे विशेषज्ञों का मानना है कि प्राचीन सभ्यताओं में AI जैसी सोच पहले से मौजूद थी। इन विद्वानों के अनुसार, इंसान बहुत पहले ही ऐसे यांत्रिक प्राणियों की कल्पना कर चुके थे जो खुद सोच सकें और निर्णय ले सकें।
यह सवाल स्वाभाविक है कि क्या उस समय केवल कल्पना की गई थी या AI जैसी किसी चीज़ की शुरुआत भी हो चुकी थी? ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एड्रिएन मेयर का कहना है कि इंसानों की सोचने की शक्ति ने बहुत पहले ही AI जैसे कॉन्सेप्ट को जन्म दे दिया था। प्राचीन यूनानी कवि हेसियड और होमर की रचनाओं में अपने आप चलने वाली मशीनों और रोबोट जैसे प्राणियों का उल्लेख मिलता है। ये कवि करीब 750 से 650 ईसा पूर्व के दौर के थे।
ग्रीक पौराणिक कथाओं में दुनिया के पहले रोबोट का नाम तालोस बताया गया है। हेसियड की कथाओं के अनुसार, धातु और आविष्कार के देवता हेफेस्टस ने तालोस नाम का विशाल कांसे का रोबोट बनाया था। तालोस सिर्फ एक मूर्ति नहीं था, बल्कि वह खुद चल सकता था, खतरे को पहचान सकता था और अपने फैसले खुद ले सकता था। यही वजह है कि कई विशेषज्ञ इसे आधुनिक AI का प्रारंभिक रूप मानते हैं।
ग्रीक कथाओं के अनुसार तालोस के शरीर में एक खास नस थी, जिसमें “इकोर” नाम का दिव्य तरल बहता था। यह नस उसकी एड़ी तक जाती थी और वहीं उसकी एकमात्र कमजोरी थी। आज के वैज्ञानिकों का मानना है कि “इकोर” किसी प्रोसेसर या सेंट्रल लॉजिक सिस्टम जैसा हो सकता है। कहा जाता है कि तालोस को ताकत से नहीं, बल्कि बुद्धि से हराया गया था जिसे आज की भाषा में हैकिंग भी कहा जा सकता है।
ये भी पढ़े: एक ही बिल में Wi-Fi, DTH और लैंडलाइन, जानिए पूरे फायदे
कथा के अनुसार तालोस को क्रेते द्वीप की रक्षा के लिए तैनात किया गया था। वह खतरे को पहचानता, उसका विश्लेषण करता और तुरंत कार्रवाई करता था। यही प्रक्रिया आज के AI सिस्टम में भी देखने को मिलती है। यही कारण है कि कई विद्वान मानते हैं कि इंसानों ने AI की अवधारणा की झलक 2500 साल पहले ही देख ली थी।






