
स्पेडेक्स मिशन (कांसेप्ट फोटो सौ. सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने पिछले सोमवार को मिशन SPADEX लॉन्च किया था, और अंतरिक्ष यानों को एक-दूसरे के करीब आने के लिए धीमी चाल से विचलन की मुद्रा में रखा गया है। इसरो ने इस पर कहा कि प्रयोग के शुक्रवार को आरंभिक स्थिति में पहुंचने की उम्मीद है। इसके साथ ही स्पेडेक्स डॉकिंग अपडेट में विचलन पर काबू पा लिया गया है और अंतरिक्ष यानों को एक-दूसरे के करीब आने के लिए धीमी गति से विचलन की मुद्रा में रखा गया है। इसके आरंभिक स्थिति में पहुंचने की संभावना है।
इसरो अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को जोड़ने से जुड़े स्पेडेक्स प्रयोग को दो बारस्थगित कर चुका है। प्रयोग को टालने के पीछे का कारण बताते हुए इसरो ने बृहस्पतिवार को कहा कि उपग्रहों के बीच 225 मीटर की दूरी तक पहुंचने का अभ्यास करने के दौरान गैर-दृश्यमान अवधि के बाद के समय में विचलन उम्मीद से अधिक पाया गया था।
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खबरो के मुताबिक स्पेडेक्स एक महत्वपूर्ण परियोजना है। जिसे दो छोटे उपग्रहों का इस्तेमाल करके अंतरिक्ष यानों के मिलान ‘डॉकिंग’ और ‘अनडॉकिंग’ के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी को विकसित करने और प्रदर्शित करने के वास्ते तैयार किया गया है। उसके साथ ही इसने ने बताया है कि -स्पेडेक्स प्रयोग अंतरिक्ष डॉकिंग में भारत की क्षमताओं को आगे बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगा। अंतरिक्ष डॉकिंग उपग्रहों की मरम्मत-रखरखाव, अंतरिक्ष स्टेशन के संचालन और अंतरग्रहीय मिशन सहित भविष्य के अंतरिक्ष मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी है।
हलांकि स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट एक टेक्नोलॉजी ड्रिवेन मिशन है जिसे इसरो द्वारा अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करने के लिए डेवलपर किया गया है। इसरो के इस मिशन का उद्देश्य दो छोटे अंतरिक्ष यान या सैटेलाइट को एक साथ लाने यानी की डॉक करने और अलग करने यानी की अनडॉक करने की क्षमता का प्रदर्शन करना है। स्पैडेक्स का प्राथमिक लक्ष्य, पृथ्वी की निचली कक्षा में दो छोटे अंतरिक्ष यान, SDX01 (चेजर) और SDX02 (टारगेट) के लिए डॉकिंग टेक्नोलॉजी डेवलपर करना है। इस तकनीक में हाईटेक सेसिंग और प्रोपल्सन सिस्टम का उपयोग किया गया है,






