
AI in Health Careb. (So. Freepik)
Artificial Intelligence with Medical Technology: अब सिर्फ बीमार होने के बाद इलाज कराने का दौर बदलने वाला है। अगर आप पूरी तरह स्वस्थ हैं, लेकिन भविष्य में कैंसर, हार्ट अटैक या किसी गंभीर बीमारी का खतरा जानना चाहते हैं, तो यह अब संभव हो गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से जेनेटिक स्क्रीनिंग कर पहले ही यह पता लगाया जा सकेगा कि किसी व्यक्ति को आगे चलकर कैंसर, किडनी, लिवर या हृदय रोग का जोखिम है या नहीं।
फतेहाबाद रोड स्थित एक होटल में आयोजित एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया की जनरेटिव AI फॉर हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स कार्यशाला में विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य क्षेत्र में AI की बढ़ती भूमिका पर विस्तार से जानकारी दी।
नई दिल्ली से आए डॉ. अंशुमान कौशल ने बताया कि आजकल युवा भी कैंसर, किडनी, लिवर, हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। कई मामलों में बीमारी का पता एडवांस स्टेज पर चलता है, जिससे इलाज जटिल हो जाता है। ऐसे में AI आधारित जेनेटिक स्क्रीनिंग भविष्य में होने वाली बीमारियों की सटीक जानकारी पहले ही दे सकेगी, जिससे समय रहते सतर्कता और इलाज संभव होगा।
कार्यशाला के संयोजक डॉ. मयंक बंसल ने बताया कि AI की मदद से पेट, हड्डी, दिमाग और हृदय से जुड़ी जटिल सर्जरी अब अधिक सटीक तरीके से की जा रही हैं। इससे मानवीय त्रुटि की आशंका कम होती है, रक्तस्राव घटता है और मरीज तेजी से ठीक होता है। AI आधारित रोबोटिक सर्जरी भी तेजी से प्रभावी साबित हो रही है। अब रोबोट न केवल सर्जरी करेगा, बल्कि प्रक्रिया की गंभीरता को समझने और निर्णय लेने में भी सक्षम होगा।
AI रक्त, हड्डी, मांसपेशियों और शरीर के विभिन्न अंगों का गहन विश्लेषण कर यह संकेत देगा कि भविष्य में कौन-सी बीमारी हो सकती है। इससे लोग समय रहते अपनी जीवनशैली में बदलाव कर पाएंगे और इलाज के सफल होने की संभावना भी बढ़ेगी।
सहारनपुर की डॉ. शिप्रा तिवारी ने बताया कि फास्ट फूड, तला-भुना भोजन और शारीरिक गतिविधि की कमी से मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। इसके चलते बेरिएट्रिक सर्जरी के मामले बढ़े हैं। वर्तमान में 25 से 40 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 25 फीसदी युवा यह सर्जरी करा रहे हैं। हालांकि खानपान पर नियंत्रण और नियमित व्यायाम न करने पर 10–15 साल बाद वजन फिर बढ़ सकता है।
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अब AI आईसीयू में भर्ती मरीजों के एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई और खून की जांच का विश्लेषण कर उनके ठीक होने की दर तक बता रहा है। इतना ही नहीं, इससे मरीज की जीवन अवधि का अनुमान भी लगाया जा सकेगा।






