चंडीगढ़ पीजीआई ( सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : हमारे देश में आए दिनों नई तकनीकों को अविष्कार किया जा रहा है। इसी लिस्ट में एक नया नाम शामिल हो गया है। चंडीगढ़ पीजीआई ने भी एक ऐसी ही नई तकनीक का अविष्कार किया है। बायो मेडिकल इंस्ट्रूमेंट्स एंड डिवाइस लैब के कुछ विशेषज्ञों ने एक ऐसी डिवाइस को तैयार किया है, जो आर्टिफिशियल श्वास को पैदा करने वाले वेटिंलेटर को कड़ी टक्कर दे सकता है।
चंडीगढ़ पीजीआई द्वारा निर्मित इस डिवाइस को आर्टिफिशियल ब्रिदिंग कैपेबिलिटी डिवाइस (एबीसीडी) नाम दिया गया है। इस डिवाइस को पेटेंट करने और इसका क्लीनिकल ट्रायल करने के बाद इसे मार्केट में लॉन्च किया जा सकता है। इसे एक निजी कंपनी के साथ मिलकर बाजार में उतारा जाएगा।
बायो मेडिकल इंस्ट्रूमेंट्स एंड डिवाइस लैब के प्रभारी एवं एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर के डॉ. जोसफ एल मैथ्यू ने इस डिवाइस को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा है कि ये डिवाइस मेडिकल क्षेत्र में काफी कारगार साबित हो सकता है। इसे बनाने की तैयारी 2018 से शुरू हुई थी। क्लीनिकल ट्रायल में इसे सफलता मिल गई है और साथ ही इसे पेटेंट भी करवा लिया गया है। ऐसा करने के बाद इसका निर्माण एक निजी कंपनी द्वारा किया जाएगा। इस डिवाइस को लेकर कयास लगाए जा रहे है कि जल्द ही ये मार्केट में उपलब्ध हो सकता है।
आर्टिफिशियल ब्रिदिंग कैपेबिलिटी डिवाइस की सबसे खास बात ये है कि इसे बनाने में केवल 50 से 60 हजार रुपये की लागत लगी है। जबकि एक वेंटिलेटर की कीमत 20 से 25 लाख रूपये होती है। एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर के डॉ. जोसफ एल मैथ्यू ने ये भी कहा है कि इस एबीसीडी डिवाइस में वेंटिलेटर की तरह इस डिवाइस में सभी मानकों को पूरा करने में असमर्थ है, लेकिन इस डिवाइस में वे सभी आवश्यक मानक शामिल है, जिससे एक गंभीर मरीज की जान बचायी जा सकती है।
डॉ. मैथ्यू ने इस डिवाइस के बारे में बताया है कि ये डिवाइस इलेक्ट्रो मैकेनिकल सिस्टम से लैस है, जिसकी मदद से सेंसर की रीडिंग के आधार पर मशीन को कमांड किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल ट्रामा सेंटर में भी किया जा सकता है। इसका उपयोग बच्चे, बड़े और फेफड़ों की गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज के लिए किया जा सकता है।