निशांत देव (सौजन्य-एक्स)
नई दिल्ली: निशांत की हार के बाद पूरे सोशल मीडिया में यहीं चर्चा है कि निशांत कैसे हार गए जबकि मैच के दौरान निशांत ने अपने विराधी मुक्केबाज की अपने मुक्कों से काफी धुनाई की थी। फिर भी निशांत के पॉइन्ट कम कैसे आ सकते है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर इस जजमेंट को लेकर काफी चर्चा हो रही है।
मुक्केबाजी में विजेता का फैसला एक दूसरे पर घूंसों की बरसात से होता है लेकिन इसकी स्कोरिंग प्रणाली आज तक किसी को समझ में नहीं आई और ताजा उदाहरण पेरिस ओलंपिक में भारत के निशांत देव का क्वार्टर फाइनल मुकाबला है।
निशांत 71 किलोवर्ग के क्वार्टर फाइनल में दो दौर में बढत बनाने के बाद मैक्सिको के मार्को वेरडे अलवारेज से 1 . 4 से हार गए तो सभी हैरान रह गए। हर ओलंपिक में यह बहस होती है कि आखिर जज किस आधार पर फैसला सुनाते हैं। निशांत का मामला पहला नहीं है और ना ही आखिरी होगा। लॉस एंजिलिस में 2028 ओलंपिक में मुक्केबाजी का होना तय नहीं है और इस तरह की विवादित स्कोरिंग से मामला और खराब हो रहा है।
Clearly judges robbed this game
Clear cheating Nishant Dev was the clear winner 💔
shame on #Olympics community 💔🤮
Worst judging ever seen 💔#cheating #Olympic2024#NishantDev #OlympicGamesParis2024 #Boxing pic.twitter.com/pagDK463Hm
— Goldy (وقار) (@goldybihari) August 3, 2024
टोक्यो ओलंपिक 2020 में एम सी मेरीकोम प्री क्वार्टर फाइनल मुकाबला हारने के बाद रिंग से मायूसी में बाहर निकली थी क्योंकि उन्हें जीत का यकीन था। उन्होंने उस समय पीटीआई से कहा था ,‘‘ सबसे खराब बात यह है कि कोई रिव्यू या विरोध नहीं कर सकते। मुझे यकीन है कि दुनिया ने इसे देखा होगा। इन्होंने हद कर दी है।”
निशांत के हारने के बाद कल पूर्व ओलंपिक कांस्य पदक विजेता विजेंदर सिंह ने एक्स पर लिखा ,‘‘ मुझे नहीं पता कि स्कोरिंग प्रणाली क्या है लेकिन यह काफी करीबी मुकाबला था। उसने अच्छा खेला। कोई ना भाई।”
I don’t know what’s the scoring system but I think very close fight..he play so well..koi na bhai #NishantDev
— Vijender Singh (@boxervijender) August 3, 2024
अमैच्योर मुक्केबाजी की स्कोरिंग प्रणाली बीतें बरसों में इस तरह बदलती आई है और धीरे-धीरे जजों ने अपनी विश्वसनीयता खो दी।
रोम ओलंपिक 1960 में कई अधिकारियों को एक बाउट में विवादित फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने बाहर कर दिया। इसके बावजूद सियोल ओलंपिक में खुलेआज ‘लूट’ देखी गई जब अमेरिका के रॉय जोंस जूनियर ने कोरिया के पार्क सि हुन पर 71 किलोवर्ग में स्वर्ण पदक के मुकाबले में 86 घूंसे बरसाये और सिर्फ 36 घूंसे खाये। इसके बावजूद कोरियाई मुक्केबाज को विजेता घोषित किया गया। जोंस बाद में विश्व चैम्पियन भी बने लेकिन उस हार को भुला नहीं सके।
अमैच्योर मुक्केबाजी की विश्व नियामक ईकाई ने लगातार हो रही आलोचना के बाद 1992 बार्सीलोना ओलंपिक में स्कोरिंग प्रणाली में बदलाव किया। इसके अधिक पारदर्शी बनाने के लिये पांच जजों को लाल और नीले बटन वाले कीपैड दिये गए। उन्हें सिर्फ बटन दबाना था। इसमें स्कोर लाइव दिखाये जाते थे ताकि दर्शकों को समझ में आता रहे।
बाद में शिकायत आने लगी कि इस प्रणाली से मुक्केबाज अधिक रक्षात्मक खेलने लगे हैं और उनका फोकस सीधे घूंसे बरसाने पर रहता है। इसके बाद 2011 में तय किया गया कि पांच में से तीन स्कोर का औसत अंतिम फैसला लेने के लिये प्रयोग किया जायेगा। स्कोर को लाइव दिखाना भी बंद कर दिया गया।
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अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ ने 2013 में पेशेवर शैली में 10 अंक की स्कोरिंग प्रणाली अपनाई जिसमें मुक्केबाज का आकलन आक्रमण के साथ रक्षात्मक खेल पर भी किया जाने लगा।
बेंटमवेट विश्व चैम्पियन कोनलान ने क्वार्टर फाइनल में पूरे समय दबदबा बनाये रखा लेकिन उन्हें विजेता घोषित नहीं किया गया। वह गुस्से में बरसते हुए रिंग से बाहर निकले। एआईबीए ने उन पर निलंबन भी लगा दिया था।
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पांच साल बाद एआईबीए के जांच आयोग ने खुलासा किया कि रियो ओलंपिक 2016 में पक्षपातपूर्ण फैसले हुए थे। कुल 36 जजों को निलंबित कर दिया गया लेकिन उनके नाम नहीं बताये गए। कोनलान ने उस समय ट्वीट किया था,‘‘ तो इसका मतलब है कि मुझे अब ओलंपिक पदक मिलेगा।” अभी तक उनके इस सवाल का किसी के पास जवाब नहीं है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)