बजरंग पुनिया (फोटो- नवभारत डिजाइन)
नवभारत डिजिटल डेस्कः ‘देशा म्ह देश हरियाणा, जित दूध दही का खाना’ हरियाणा की यह सर्वभौमिक लाइन है। यह लाइन हरियाणा की गौरवशाली परंपरा किसानी और पहलवानी की व्याख्या करती है। यह लाइन भले ही किसी दोहा, चौपाई, छंद में फिट न बैठती हो, लेकिन हरियाणा पर बिल्कुल फिट बैठती है। देश के इस छोटे से राज्य की जमीन बहुत उपजाऊ है, जहां न केवल फसलें उगाई जाती हैं, बल्कि यहां पहलवान भी पैदा होते हैं।
आज के दिन एक ऐसे पहलवान का जन्म हुआ है, जिसने विदेशों में अपने रण कौशल से भारत का ध्वज फहराया है। अब उसने कुश्ती छोड़ दी है, लेकिन छोड़ने से पहले विभिन्न प्रतियोगिताओं में उसने भारत की झोली में 7 गोल्ड मेंडल, 7 सिल्वर मेडल और 4 ब्रांज मेडल डाले हैं। उसने अपना पहला गोल्ड मेडल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को समर्पित किया था। लेकिन जब दिन थोड़े खराब हुए तो सत्ताधारी भाजपा के साथ ही नाडा, वाडा भिड़ंत हो गई। इसके बावजूद भी उसने सरकार के सामने घुटने नहीं टेके और लड़ता रहा। उस पहलवान को बजरंग पुनिया के नाम से जानते हैं। जिसका जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के गांव खुड़न में 26 फरवरी 1994 को हुआ था।
बजरंग पुनिया: भारतीय कुश्ती का चमकता सितारा
भारत के महान पहलवानों में से एक, बजरंग पुनिया, भारतीय कुश्ती में एक महत्वपूर्ण नाम हैं। उन्होंने अपनी मेहनत, समर्पण और अद्वितीय कुश्ती कौशल से देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। उनके जन्मदिन के अवसर पर, हम उनके जीवन, करियर और संघर्षों की कहानी को संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं।
जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि
बजरंग पुनिया का जन्म 26 फरवरी 1994 को हरियाणा के झज्जर जिले के खुड़न गाँव में हुआ था। वे एक साधारण परिवार से आते हैं, जहाँ कुश्ती की परंपरा लंबे समय से चली आ रही थी। उनके पिता बलवान सिंह खुद भी पहलवान थे और उन्होंने अपने बेटे को बचपन से ही इस खेल के प्रति प्रेरित किया। बजरंग ने छोटी उम्र में ही कुश्ती का अभ्यास शुरू कर दिया और बहुत जल्द अपने मजबूत इरादों और कठिन परिश्रम से इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई।
शादी और व्यक्तिगत जीवन
बजरंग पुनिया ने भारतीय महिला पहलवान संगीता फोगाट से शादी की है। संगीता प्रसिद्ध फोगाट परिवार से हैं, जिसने भारतीय कुश्ती में कई चैंपियन दिए हैं। यह शादी भारतीय कुश्ती जगत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण थी क्योंकि दो बड़े पहलवान परिवारों का मेल हुआ। दोनों ही अपने खेल को लेकर समर्पित हैं और एक-दूसरे का पूरा समर्थन करते हैं।
कुश्ती करियर और सफलता
बजरंग पुनिया ने अपने करियर की शुरुआत बहुत ही कम उम्र में की और धीरे-धीरे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को स्थापित किया। उन्होंने कई प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं में भाग लिया और भारत के लिए कई मेडल जीते।
2013 एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप: कांस्य पदक जीतकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।
2018 एशियन गेम्स: स्वर्ण पदक जीतकर भारत का गौरव बढ़ाया।
2018 कॉमनवेल्थ गेम्स: स्वर्ण पदक जीतकर अपनी श्रेष्ठता साबित की।
2020 टोक्यो ओलंपिक: कांस्य पदक जीतकर भारतीय कुश्ती में एक नया इतिहास रचा।
विश्व कुश्ती चैंपियनशिप: कई बार पदक जीतकर अपने कौशल को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।
विवाद और संघर्ष
बजरंग पुनिया का करियर सफलता और संघर्षों का मिश्रण रहा है। हाल ही में वे भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के खिलाफ पहलवानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल रहे। वे अपने साथी पहलवानों के साथ मिलकर खेल संघ में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग कर रहे थे। इस विरोध प्रदर्शन ने काफी सुर्खियाँ बटोरी और भारतीय खेल प्रशासन पर एक बड़ी बहस छेड़ दी। इसके बाद उनके खिलाफ नाडा, वाडा और कुश्ती संघ के साथ सत्ताधारी दल के कई नेता हो गए।
कुश्ती को उन्होंने अब अलविदा कह दिया है। कुश्ती छोड़ने के बाद उन्होंने सियासी दंगल में उतरने का फैसला लिया। पिछले साल उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी। उनकी सोहरत और मेहनत के साथ बैकग्राउंड को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय किसान विंग का अध्यक्ष नियुक्त किया। फिलहाल वह राजनीति में एक्टिव हैं।