शोएब अख्तर (फोटो-सोशल मीडिया)
स्पोर्ट्स डेस्क: पाकिस्तान के महान तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने 23 साल पहले आज ही के दिन एक खास उपलब्धि हासिल की थी। शोएब ने यह कारनामा 2002 में किया था। इसके साथ ही उन्होंने वर्ल्ड क्रिकेट में इतिहास रच दिया था क्योंकि वो इंटरनेशनल क्रिकेट में 100 मील प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले पहले तेज गेंदबाज बने थे।
शोएब अख्तर ने 2002 में यह कारनामा न्यूजीलैंड के खिलाफ किया। उन्होंने ने यह उपलब्धि पाकिस्तान के लाहौर में हासिल की। जब उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ एकदिवसीय मुकाबले में क्रिकेट इतिहास की अब तक की सबसे तेज़ गेंद फेंकी। उन्होंने 100 मील प्रति घंटे (161.3 किमी/घंटा) की रफ्तार से गेंदबाजी करके स्पीडोमीटर का कांटा तोड़ दिया। इसके बाद से शोएब अख्तर को रावलपिंडी एक्सप्रेस के रूप में एक अलग पहचान मिली।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में स्पीड क्लॉक की शुरुआत के बाद से वह 100 मील प्रति घंटे की बाधा को पार करने वाले पहले गेंदबाज बन गए। अख्तर की इस उपलब्धि को लेकर विवाद हुआ, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने उनके रिकॉर्ड को आधिकारिक तौर पर स्वीकार करने से इनकार कर दिया। क्योंकि वह एक प्रायोजक कंपनी की ओर से दी गई थी। इस वजह से शोएब का रिकॉर्ड तत्काल मान्यता नहीं पा सका।
इसके बाद पाकिस्तान और क्रिकेट जगत में उनके प्रशंसक निराश थे। हालांकि शोएब अख्तर इसको लेकर ज्यादा परेशान नहीं थे। उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह मायने नहीं रखता कि कोई स्पीड गन को पहचानता है या नहीं। लेकिन उसके बाद शोएब ने जल्द ही आधिकारिक तौर पर भी इस उपलब्धि को हासिल कर लिया।
शोएब अख्तर ने साल 2003 में 22 मार्च को इंग्लैंड के खिलाफ केपटाउन में खेले गए मुकाबले में उन्होंने 161.3 किमी/घंटा की रफ्तार से गेंद फेंककर आधिकारिक तौर पर 100 मील प्रति घंटे की रफ्तार पार करने वाले पहले गेंदबाज बन गए। यह गेंद इंग्लैंड के बल्लेबाज निक नाइट को डाली गई थी और यह रिकॉर्ड चौथे ओवर की आखिरी गेंद पर बना। मैदान में मौजूद भीड़ ने जमकर तालियां बजाकर शोएब की इस उपलब्धि का स्वागत किया।
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शोएब अख्तर का यह रिकॉर्ड अभी तक क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। अभी तक इस गेंद से ज्यादा तेज गेंद किसी गेंदबाज ने नहीं फेंका है। शोएब अख्तर का यह रिकॉर्ड आज भी क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में बसा हुआ है और उन्हें दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज के रूप में याद किया जाता है।