पारस डोगरा (फोटो- सोशल मीडिया)
Paras Dogra 100 in Ranji Trophy 2025: रणजी ट्रॉफी 2025 के ग्रुप-डी मुकाबले में जम्मू-कश्मीर और मुंबई के बीच रोमांचक जंग देखने को मिल रही है। इस मैच में 40 वर्षीय अनुभवी बल्लेबाज पारस डोगरा ने एक बार फिर अपनी क्लासिक बल्लेबाजी का नमूना पेश किया है। मुश्किल हालात में बल्लेबाजी करते हुए पारस ने न केवल टीम को संभाला, बल्कि इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में अपना 32वां शतक भी पूरा कर लिया। यह उपलब्धि उन्हें रणजी ट्रॉफी के इतिहास में दूसरे सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले बल्लेबाजों की सूची में ले आई है। इस पारी के साथ उन्होंने अजय शर्मा (31 शतक) को पीछे छोड़ दिया है और अब उनसे आगे सिर्फ महान बल्लेबाज वसीम जाफर (40 शतक) हैं।
जम्मू-कश्मीर की पारी की शुरुआत बेहद खराब रही। टीम ने सिर्फ दो रन के भीतर दो विकेट गंवा दिए थे और शुरुआती झटकों से उबरने के लिए जूझ रही थी। इसी मुश्किल घड़ी में पारस डोगरा मैदान पर उतरे। स्कोरबोर्ड पर सिर्फ 30 रन ही जुड़े थे कि तीसरा विकेट भी गिर गया। मगर डोगरा ने अनुभव और संयम का शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम को संकट से निकाला। उन्होंने अब्दुल समद के साथ मिलकर चौथे विकेट के लिए 94 रनों की अहम साझेदारी निभाई, जिसने पारी को स्थिरता दी।
अब्दुल समद 44 रन बनाकर आउट हुए, लेकिन पारस डोगरा ने एक छोर मजबूती से थामे रखा। उन्होंने मुंबई के गेंदबाजों का डटकर सामना किया और लगातार स्ट्राइक रोटेट करते हुए रन बनाते रहे। दिन के खेल खत्म होने तक वे 112 रन बनाकर नाबाद थे। उनकी यह शानदार पारी जम्मू-कश्मीर के लिए बेहद अहम साबित हुई क्योंकि टीम ने 7 विकेट पर 273 रन बनाकर मुंबई के 386 रन के जवाब में संघर्ष जारी रखा।
पारस डोगरा की यह पारी केवल टीम के लिए नहीं, बल्कि उनके करियर के लिए भी ऐतिहासिक रही। रणजी ट्रॉफी में अब उनके नाम 32 शतक हो चुके हैं। इस उपलब्धि ने उन्हें एक बार फिर भारतीय घरेलू क्रिकेट के शीर्ष बल्लेबाजों में शुमार कर दिया है। पारस ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अपना डेब्यू 2001-02 सीजन में हिमाचल प्रदेश की ओर से किया था। लंबे समय तक वे हिमाचल के लिए रन मशीन रहे, बाद में उन्होंने पुडुचेरी का रुख किया और अब जम्मू-कश्मीर की ओर से खेल रहे हैं।
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पारस डोगरा अब तक 9,500 से अधिक फर्स्ट क्लास रन बना चुके हैं, जबकि उनसे आगे वसीम जाफर हैं, जिन्होंने 12,000 से ज्यादा रन बनाए हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी पारस की फिटनेस और निरंतरता काबिले-तारीफ है। उनकी यह पारी एक बार फिर साबित करती है कि अनुभव और धैर्य के आगे कोई भी स्थिति कठिन नहीं होती। रणजी ट्रॉफी में उनका यह प्रदर्शन आने वाले युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बन गया है।