दलीप ट्रॉफी (फोटो-सोशल मीडिया)
स्पोर्ट्स डेस्क: बीसीसीआई ने भारत के एक बड़े टूर्नामेंट को फिर से शुरू करने का फैसला किया है। पारंपरिक अंतर-क्षेत्रीय टूर्नामेंट दलीप ट्रॉफी की वापसी हुई है। पहले इस टूर्नामेंट में चार टीमें खेलती थी। लेकिन अब इस टूर्नामेंट में 6 टीमें आपस में प्रतिस्पर्धा करेगी। इस टूर्नामेंट में उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम, मध्य और उत्तर-पूर्व टीम आपस में भिड़ेंगी।
पहले दलीप ट्रॉफी 1961 से 2014 तक इस अंतर-क्षेत्रीय प्रारूप में खेली जाती थी। पिछले साल चयन समिति ने रणजी ट्रॉफी के आधार पर चार टीमों का चयन किया था, लेकिन अब दलीप ट्रॉफी में छह क्षेत्रीय टीमें भाग लेंगी। अजीत अगरकर की अगुवाई वाली राष्ट्रीय चयन समिति ने पिछले साल रणजी ट्रॉफी (38 टीम) में खिलाड़ियों के प्रदर्शन के आधार पर चार टीमों ए, बी, सी और डी का चयन किया था जिसने चैलेंजर ट्रॉफी प्रारूप में प्रतिस्पर्धा की थी।
पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने 2015 में एनसीए के प्रमुख के रूप में पदभार संभाला, तो उन्होंने दलीप ट्रॉफी को चैलेंजर ट्रॉफी प्रारूप में आयोजित करने का सुझाव दिया। जहां राष्ट्रीय चयनकर्ता इंडिया ब्लू, रेड, ग्रीन टीमों का चयन करते थे। इस प्रारूप को 2019 सत्र तक जारी रखा गया था। कोविड महामारी के कारण दलीप ट्रॉफी 2020 और 2021 सत्र में आयोजित नहीं की गई। इससे पहले 2022 और 2023 में क्षेत्रीय मीट के तौर पर इस घरेलू प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था।
पिछले साल (2024) एक बार फिर से इसके प्रारूप में बदलाव किया गया और राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने टीमों का चयन किया था। लेकिन सभी राज्य संघों ने इसका विरोध किया। जिसके बाद बोर्ड ने पारंपरिक प्रारूप में वापसी की है। अब सभी राज्य टीमों के प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को खुद को साबित करने का ज्यादा मौका मिलेगा।
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इसका मतलब है कि हर क्षेत्र की एक बार फिर अपनी चयन समिति होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सभी पांच क्षेत्र (उत्तर पूर्व को छोड़कर, जिसके पास कोई राष्ट्रीय चयनकर्ता नहीं है) के राष्ट्रीय चयनकर्ताओं को उनकी क्षेत्रीय चयन समितियों का स्थायी आमंत्रित सदस्य बनाया जाता है या नहीं। भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज और राष्ट्रीय चयनकर्ता देवांग गांधी का मानना है कि क्षेत्रीय प्रारूप चयनकर्ताओं को व्यापक प्रतिभा पूल को देखने का बेहतर अवसर देता है।