अमेरिका -भारत की दोस्ती में आया भारी टैरिफ (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, दोस्ती सोच-समझकर करनी चाहिए क्योंकि चालाक दुश्मन की तुलना में नादान दोस्त ज्यादा खतरनाक होता है. ऐसे दोस्त कहां ले जाकर डुबोएंगे, इसका कोई ठिकाना नहीं है. इस बारे में हम आपको सावधान कर रहे हैं.’ हमने कहा, ‘मित्रता में कोई शर्त नहीं होती. दोस्ती मित्रा को महत्व देते हुए डेल कार्नेगी ने ‘हाऊ टु विन फ्रेंडस एंड इन्फ्लुएंस पीपुल’ नामक बेस्टसेलर किताब लिखी थी।
इस पुस्तक में समझाया गया है कि किसी भी व्यक्ति को अपना नाम सबसे ज्यादा प्रिय लगता है इसलिए उससे बातचीत करते समय हर दूसरे-तीसरे वाक्य की शुरूआत उसका नाम लेकर कीजिए. वह देखते ही देखते आपका मित्र बन जाएगा. इसके अलावा हमेशा मुस्कुराते रहिए.’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, बेवजह मुस्कुराने वाले को लोग बेवकूफ मानते हैं. क्या कोई किसी की मैयत में मुस्कुराता है? वहां गमगीन चेहरा बनाए रखना पड़ता है. यदि आप बॉस हैं तो कर्मचारियों के सामने बिल्कुल मत मुस्कुराइए. वहां पथरीला चेहरा या स्टोन फेस बनाए रखिए और सख्त आवाज में बोलिए तभी अनुशासन कायम रहेगा. मित्रता हमेशा समान स्तर के लोगों में होती है।’
हमने कहा, ‘दोस्ती में अमीरी-गरीबी या ऊंच-नीच नहीं देखा जाता. कृष्ण-सुदामा की मित्रता प्रसिद्ध है. आपने मेरी दोस्ती तेरा प्यार गीत सुना होगा. फिल्म ‘शोले’ में धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन को ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे गाते दिखाया गया था.’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प बार-बार कहते है- माय फ्रेंड मोदी लेकिन फिर भी वह भारत से आयात किए जानेवाले सामान पर भारी टैरिफ लगा रहे हैं. ट्रम्प ने भारत के चुनाव में मतदान को प्रोत्साहित करने के लिए 21 मिलियन डालर दिए जाने की बात कहकर हमारे देश की राजनीति में खलल डाला है।
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पता नहीं, यूएस एड की यह रकम किसे दी गई? दोस्ती में हर बात उजागर नहीं करनी चाहिए क्योंकि बंधी मुट्ठी लाख की, खुली तो प्यारे खाक की! ट्रम्प की नादानी के और भी नमूने सामने आते रहेंगे. ऐसे में कहीं मोदी को यह ना कहने पड़े- दोस्त-दोस्त ना रहा, प्यार-प्यार ना रहा, ट्रम्प हमें तेरा ऐतबार ना रहा!’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा