ट्रंप नहीं चाहते भारत में एपल का प्लांट (सौ. फाइल फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (मागा) नारे के साथ डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि सिर्फ अमेरिका ही सबकुछ बनाए और दुनिया के देश उससे खरीदें।ऐसी स्थिति 1940 से 1950 के दौरान रही होगी जब एशिया के देश गरीब और पिछड़े हुए थे तथा यूरोप हिटलर के हमले की वजह से संकट में था।आज स्थितियां बिल्कुल अलग हैं।अमेरिका डेट्रायट स्थित कार निर्माण उद्योग कब का दम तोड़ चुका है।वहां सारी गाड़ियां जापान, जर्मनी, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, इटली में बनी नजर आएंगी।
अमेरिका लड़ाकू विमान, मिसाइल, हर तरह की युद्ध सामग्री तथा बोइंग जैसा यात्री विमान बनाता है लेकिन बाकी तमाम चीजें वह विदेश से मंगाता रहा है।वजह यह है कि अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग व प्रोडक्शन कॉस्ट ज्यादा है।वहां श्रमिकों को हर घंटे 15 डॉलर या उससे अधिक वेतन देना पड़ता है।अमेरिका ने कई दशक पूर्व मैन्युफैक्चरिंग की जिम्मेदारी चीन को हस्तांतरित कर दी क्योंकि वहां काफी कम वेतन में लोग घंटों काम करते हैं।चीन निर्मित सामग्री सस्ती पड़ती है।यदि अमेरिकी कंपनियां चीन की बजाय अपने देश में आकर निर्माण करें तो लागत ज्यादा आएगी और मुनाफे की बजाय घाटा होगा।
ट्रंप ने एपल के सीईओ टिम कुक को अपनी दोस्ती का वास्ता देते हुए कहा कि वह भारत में आईफोन का निर्माण न करें क्योंकि वह दुनिया में सबसे ऊंचे टैरिफ वाले देशों में से एक है।ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में अनिश्चितता की वजह से एपल जून तिमाही में अमेरिका में बिकनेवाले अधिकांश आईफोन का निर्माण भारत में करेगा।चीन पर निर्भरता धीरे-धीरे कम करते हुए टिम कुक की कंपनी अपने कुल आईफोन निर्माण का एक चौथाई चीन से भारत स्थानांतरित करना चाहती है।अभी आईफोन अमेरिका में 1,199 डॉलर का मिलता है।
यदि उसे चीन या भारत की बजाय अमेरिका में बनाना पड़े तो उसकी लागत 3,500 डालर हो जाएगी।इसका मांग पर विपरीत असर पड़ेगा।ट्रंप मानकर चल रहे हैं कि अपने देश में मैन्युफैक्चरिंग करने से अमेरिका का व्यापार संतुलन सुधरेगा।ट्रंप की आदत एकपक्षीय तौर पर मनमाने दावे करने की है।उन्होंने दावा किया कि भारत अमेरिकी सामान पर कोई टैरिफ नहीं लगाने को तैयार हो गया है जबकि भारत ने ट्रंप को इस दावे की पुष्टि नहीं की है।भारत अमेरिका से आनेवाली कृषि सामग्री और डेयरी उत्पादों पर टैरिफ हटाएगा तो भारतीय किसानों के हितों पर आंच आएगी।अमेरिका की माइक्रोसाफ्ट, अल्फाबेट, अमाजन, मेटा, हाथवे, बर्कशायर जैसी टॉप 10 कंपनियां सेवा (सर्विस) के क्षेत्र में अग्रणी हैं।एपल 3.6 खरब डॉलर की कंपनी है जो सेवा क्षेत्र से 25 प्रतिशत कमाई कर लेती है।ट्रंप मैन्युफैक्चरिंग की जिद छोड़कर सर्विस सेक्टर पर ध्यान दें तो उचित रहेगा।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा