कोई ट्रेन दुर्घटना तकनीकी कारणों से हो तो बात अलग है लेकिन यदि इसकी वजह चालक की लापरवाही है तो यह अक्षम्य है। ट्रेन के ड्राइवर या लोको पायलट का कर्तव्य है कि ट्रेन चलाते समय पूरी दक्षता बरते और एकाग्रता से अपना काम करे। ट्रेन में सवार सैकड़ों यात्रियों को सुरक्षित रूप से उनके गंतव्य तक पहुंचाना लोको पायलट की ड्यूटी है। इसमें तनिक भी कोताही नहीं होनी चाहिए। लोको पायलट की कार्यकुशलता पर भरोसा करके ही यात्री ट्रेन से सफर करते हैं। गत 29 अक्टूबर 2023 को आंध्रप्रदेश के विजयनगरम जिले के कंटकापल्ली में हावड़ा-चेन्नई मार्ग पर रायगड़ा पैसेंजर ट्रेन ने विशाखापत्तनम-पलासा ट्रेन को पीछे से टक्कर मार दी।
इस भीषण दुर्घटना में 14 यात्रियों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए। हादसे में रायगड़ा पैसेंजर ट्रेन के पायलट और को-पायलट दोनों की मौत हो गई। जांच में पता चला कि दोनों ही इस दुर्घटना के लिए जिम्मेदार थे और अपनी घोर लापरवाही की वजह से खुद की और यात्रियों की जान गंवा बैठे। ये दोनों सतर्कतापूर्वक ट्रेन चलाने की बजाय मोबाइल पर क्रिकेट मैच देख रहे थे। ट्रेन ने 2 लाल सिग्नल पार कर लिए लेकिन उन्होंने देखा ही नहीं। उनका ध्यान मोबाइल के स्क्रीन पर था।
यदि उनकी निगाह सामने होती तो लाल सिग्नल देखते ही पैसेंजर ट्रेन रोकते। ट्रेन के संचालन और यात्री सुरक्षा को ताक पर रखकर वे दोनों मोबाइल देखने लगे और ट्रेन किसी लावारिस के समान आगे बढ़ती चली गई। रेल सुरक्षा के मानक नियमों का उन्होंने उल्लंघन किया। यद्यपि रेल सुरक्षा आयुक्तों की जांच रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई लेकिन प्रारंभिक जांच में कहा गया कि लोको पायलट और सहायक पायलट हादसे के जिम्मेदार हैं जिन्होंने सिग्नल प्रणाली के लिए तय नियमों का पालन नहीं किया।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हम रेल सुरक्षा पर अपना ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे। हम ऐसी प्रणाली स्थापित कर रहे हैं जो किसी भी विकर्षण का पता लगा सकती है और यह सुनिश्चित कर सकती है कि पायलट और सहायक पायलट पूरी तरह से ट्रेन चलाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं या नहीं। एक टक्कर रोधी या एंटी कोलाइजन डिवाइस पर भी काम हो रहा है।