पर्यटक कश्मीर जाना नहीं छोड़े ( सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकियों द्वारा पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या करने के पीछे दो मुख्य कारण प्रतीत होते हैं. एक, कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करना. पिछले साल कश्मीर में लाखों की तादाद में पर्यटक गए थे और दशकों के आतंकवाद के बाद घाटी की आर्थिक स्थिति पटरी पर आने लगी थी. दूसरा यह कि आतंकी व सीमा पार बैठे उनके आकां चाहते थे कि पूरे भारत में सांप्रदायिक हिंसा फैल जाए, गृह युद्ध जैसी स्थिति हो जाए. इसलिए उन्होंने पर्यटकों के नाम व धर्म मालूम करके हत्याएं कीं. आतंकियों के इन नापाक मंसूबों को ध्वस्त करने व मुंहतोड़ जवाब देने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि हम पूरे देश में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखें और इन गर्मियों में पर्यटन के लिए कश्मीर ही जाएं।
इस संदर्भ में प्रेरणादायक काम एक्टर अतुल कुलकर्णी ने किया है. जब उन्होंने देखा कि पहलगाम हमले के बाद कश्मीर के लिए ट्रैवल बुकिंग लगभग 90 प्रतिशत कम हो गई है, वह भी पीक सीजन में, तो वह 27 अप्रैल को पहलगाम पहुंच गए. उनका कहना है, ‘मैंने ये डिसीजन लिया कि मुझे आना है यहां पर और लोगों तक ये संदेश पहुंचाना है कि अगर हम आतंकवादियों को जिताना नहीं चाहते हैं, तो हमें जो मैसेज दिया है- ‘यहां मत आइए’ तो भैया हम तो आएंगे।
हमारा कश्मीर है, हम यहां आएंगे. बड़ी तादाद में आएंगे.’ लेकिन इस दुखद घटना से एक बात अवश्य साबित हुई है, कश्मीर बदल गया है। कश्मीरियों ने अपनी जान पर खेलकर पर्यटकों को सुरक्षा प्रदान करने की कोशिश की, जिसमें एक टट्ट चालक सैयद आदिल हुसैन शाह की जान भी चली गई। जब उन्होंने एक आतंकी से उसकी राइफल छीनने की कोशिश की थी। कश्मीरियों ने न सिर्फ पर्यटकों के लिए अपने दिल व घर के दरवाजे खोले, बल्कि उन्हें अपनी पीठ पर लादकर सुरक्षित स्थानों की तरफ लेकर भागे। टैक्सी चालकों व होटल मालिकों ने पर्यटकों से पैसे नहीं लिए और उन्हें सुरक्षित उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था की। इतनी ही सराहनीय बात यह रही कि आतंकवाद व पाकिस्तान का विरोध करने के लिए बहुत बड़ी तादाद में कश्मीरी सड़कों पर उतरे।
कश्मीरियों ने आतंक व पाकिस्तान को अपना जवाब दे दिया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने एक स्वर में पहलगाम घटना की निंदा की है। नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ऐसा एक्शन चाहते हैं कि पहलगाम जैसी घटना दोबारा हो नहींं। अब इस संदर्भ में संसद का विशेष सत्र बुलाने की आवश्यकता है। कांग्रेस सहित देश के संपूर्ण विपक्ष ने अपनी भूमिका जिम्मेदारी से निभाई है।आठ साल (2014 से 2021) के दौरान निवेश ने कभी भी 900 करोड़ रूपए को स्पर्श नहीं किया था, लेकिन 2022-23 में वह 2,150 करोड़ रूपये पार कर गया और पिछले फिस्कल में 5,000 करोड़ रूपये पहुंचा. लोकतंत्र मजबूत हो रहा था, लोगों की आय में वृद्धि हो रही थी, नए अवसर उत्पन्न हो रहे थे, लेकिन पहलगाम के कारण भविष्य पर काले बादल छा गए हैं।
रिपोर्टों के अनुसार लगभग 90 प्रतिशत पर्यटक बुकिंग्स रद्द कर दी गई हैं। एक होटल एसोसिएशन का कहना है कि केवल अगस्त के लिए 13 लाख बुकिंग कैंसिल हुई हैं। हालांकि अधिकतर राज्यों में सामान्य स्थिति का पैमाना पर्यटन नहीं है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में इसी का ही महत्व है. पर्यटन ही इसका सबसे बड़ा उद्योग है, जो उसकी आय का लगभग 8.5 प्रतिशत हिस्सा प्रदान करता है. 2021-24 में जम्मू में आने वाले पर्यटकों में लगभग 90 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि कश्मीर में 425 प्रतिशत का इजाफा हुआ-6.7 लाख से 35 लाख। यह कश्मीर पर शेष भारत का विश्वास मत था।विदेशी पर्यटक भी 1,614 (2021) से बढ़कर 43,654 (2024) हुए।
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इसलिए सरकार को हर वो चीज करनी चाहिए, जिससे सुनिश्चित हो सके कि कश्मीर भारत के पर्यटक नक्शे से एक सीजन के लिए भी हटे नहीं. कश्मीरियों का जीविकोपार्जन दांव पर है। पर्यटन के जरिए लोगों का संपर्क बढ़ाया जाए ताकि एकता की भावना उत्पन्न हो सके. बात हमारे राष्ट्रीय संकल्प की है- हम यह नहीं होने दे सकते कि आतंकी कश्मीर को पांच साल पीछे धकेल दें. 2025 का पर्यटन सीजन अभी खत्म नहीं हुआ है।