(डिजाइन फोटो)
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की विभीषिका खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। रह-रहकर आतंकी नरपिशाच धोखे से कायराना हमला कर निर्दोषों की जान लेते हैं। आतंकी गुट ऐसा मौके की ताक में रहते हैं जब भारत में कोई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय या राजनीतिक समारोह का आयोजन किया जा रहा हो। यही वजह है कि स्वाधीनता दिवस व गणतंत्र दिवस समारोह के समय चाकचौबंद सुरक्षा रखी जाती है। अब आतंकियों ने जानबूझकर वह दिन चुना जब प्रधानमंत्री मोदी और उनका नया मंत्रिमंडल शपथ ले रहा था।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के कंदा इलाके में वैष्णोदेवी जा रही श्रद्धालुओं की बस पर हमला किया। राजौरी जिले की सीमा से लगे रियासी में शिवखेड़ी से कटरा जा रही तीर्थयात्रियों की बस पर आतंकियों ने फायरिंग की। बस चालक गोली लगने से नियंत्रण खो बैठा जिससे बस पास की खाई में जा गिरी। इसमें 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई तथा 33 से अधिक लोग घायल हो गए। मृतकों और घायलों में कई बच्चे भी शामिल हैं। आतंकियों के गुट पीओके से लगे राजौरी, पुंछ और रियासी जिलों में सक्रिय हैं। अपने पाकिस्तानी आकाओं के इशारे पर इंसानियत के दुश्मन आतंकवादी कभी भी खूनखराबा करने की तैयारी में रहते हैं।
पाकिस्तान जब आमने-सामने की लड़ाई में हमेशा भारत से हारता रहा तो उसने आतंकवाद रूपी छद्मयुद्ध या फ्रॉक्सी वार शुरू किया। इन आतंकियों को भारत के खिलाफ दुष्प्रचार कर बरगलाया जाता है तथा पैसे और हथियार देकर आतंकवादी हमला करने भेजा जाता हैं। पाकिस्तानी आर्मी और खुफिया एजेंसी आईएसआई इन्हें प्रशिक्षण देती है और लांचिग पैड से इन्हें सीमा पार कराया जाता है। ये आतंकी गुप्त सुरंगों, नालों या जंगल के रास्ते से होकर जम्मू-कश्मीर में दाखिल होते हैं।
भारत ने बालाकोट में बड़े आतंकी प्रशिक्षण शिविर को सर्जिकल स्ट्राइक कर नष्ट किया था। केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 रद्द किए जाने और आल इंडिया हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं को हवाला के जरिए मिलनेवाली फंडिंग को रोक दिए जाने के बाद से कश्मीर घाटी में आतंकवाद पर काफी हद तक लगाम लगी थी। जो नेता आतंक को बढ़ावा देकर आए दिन कश्मीर में हड़ताल और सुरक्षा बलों पर पथराव कराते थे उन्हें जेल भेजा गया। जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के बाद ऐसे शरारती तत्वों के हौसले पस्त हो गए थे। पाकिस्तान ने भी भारत में ऐसी सख्त सरकार देखी जो आतंकियों को घर में घुसकर मारने की इच्छाशक्ति और क्षमता रखती थी। अन्यथा एक ऐसा भी समय था जब श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा फहराना टेढ़ी खीर था। यह सारा माहौल बदला और अलगाववादी तत्वों की शरारत पर अंकुश लगा। इतने पर भी बौखलाए हुए आतंकवादी अपनी चुनी हुई जगह व समय पर अचानक हमले को अंजाम देते हैं।
नई सरकार की शपथ विधि के दिन आतंकी हमला करने का मकसद भारत को चुनौती देना रहा होगा। इसे केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है। 6 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया गया तथा राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) मामले की सक्रियता से जांच कर रही है। आतंकियों और उनके मददगारों के शीघ्र ही पकड़े या मारे जाने की संभावना है। जनता में दहशत पैदा करने की आतंकी कोशिशों का तत्काल मुंहतोड़ जवाब देना होगा। आगे चलकर अमरनाथ यात्रा या भविष्य में होनेवाले जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के समय भी आतंकी उपद्रव हो सकते हैं इसलिए पर्याप्त सतर्कता आवश्यक है।