टैरिफ समझौता (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ को लेकर धमकियां कृषि और डेयरी प्रोडक्ट को लेकर भारत से डील करना चाहता है, लेकिन भारत सरकार को अपने किसानों और पशुपालकों के हित देखने होंगे। ट्रंप ने कहा है कि वह 9 जुलाई से रेसीप्रोकल अर्थात जवाबी टैरिफ लागू करने जा रहे हैं। ऐसे में यदि 8 जुलाई तक ट्रेड समझौता नहीं हो पाता तो भारत को अमेरिका सामान भेजने पर 26 प्रतिशत टैरिफ चुकाना होगा। फिलहाल यह टैरिफ 10 प्रतिशत है। अमेरिका भारत का बड़ा व्यापार सहयोगी है। हमारे निर्यात का 18 प्रतिशत अमेरिका को होता है।
अमेरिका व्यापार संतुलन के उद्देश्य से भारतीय बाजार पर छाना चाहता है। पिछले दिनों ट्रंप ने कहा कि हम भारत के साथ एक बड़ा व्यापार समझौता करेंगे, जिसके जवाब में वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि हम भी एक बड़ा, अच्छा और सुंदर समझौता चाहेंगे। यह संवाद अपनी जगह ठीक है, लेकिन भारत की अपनी समस्याएं हैं। यहां के 65 करोड़ लोग कृषि पर निर्भर हैं, जिनमें से अधिकांश गरीब हैं। अमेरिका अपनी जीएम (जेनेटिकलीमॉडिफाइड) फसल भारतको बेचना चाहता है। साथ ही डेयरी प्रोडक्ट भी सस्ते में यहां खपाना चाहता है। भारत में दूध व अन्य डेयरी उत्पाद की कोई कमी नहीं है फिर वह अमेरिकी प्रोडक्ट क्यों ले ? इससे हमारे किसानों व पशुपालकों को नुकसान होगा। दूसरा दृष्टिकोण यह भी है कि दीर्घावधि में व्यापार समझौता किसानों के हित में रहेगा।
निर्माण या मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलने से उद्योगों में रोजगार बढ़ेगा, जिससे खेती-किसानी पर दबाव घटेगा। हर हालात में 26 प्रतिशत की तुलना में 10 प्रतिशत टैरिफ बेहतर है। चीन पर तो अमेरिका ने 30 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। व्यापार समझौता होने से जहां बांग्लादेश और वियतनाम जैसे कम लागत में उत्पादन करने वाले देशों से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, वहीं भारत के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में विदेशी निवेश भी बढ़ेगा। भारत को रक्षा क्षेत्र में अमेरिका से सहयोग चाहिए, इसलिए रिश्तों में अनुकूलता जरूरी है। ट्रंप की टैरिफ घोषणा के पूर्व ही भारत ने अपने बजट में अमेरिकी कारों तथा अन्य आयात पर रियायतें घोषित की थीं।
फरवरी में मोदी-ट्रंप मुलाकात हो चुकी है फिर कनाडा में भी उनकी संक्षिप्त भेंट हुई थी। भारत और अमेरिका दोनों ने 2030 तक आपसी व्यापार बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक ले जाने का फैसला किया है। सीमांत किसानों को सुरक्षा देने के लिए सरकार अन्य कदम उठा सकती है, लेकिन उन्हें बेसहारा नहीं छोड़ना चाहिए। निर्माण क्षेत्र में उन्हें रोजगार देना होगा। वाणिज्य विभाग की टीम विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में अमेरिका गई हुई है तथा अंतरिम समझौता 8 जुलाई तक घोषित किया जा सकता है।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा