(डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, केंद्रीय मंत्री हरदीपसिंह पुरी व उनकी पत्नी लक्ष्मी पुरी ने दिवाली मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया। उसमें खाद्य पदार्थ के एक स्टाल पर तख्ती लगी थी- जलेबी फैक्टरी। इसे देखकर लोगों को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की याद आ गई। उन्होंने राहुल के बारे में चर्चा करते हुए गर्म जलेबियों को चखा।’’
हमने कहा, ‘‘बीजेपी के नेता-कार्यकर्ता मुद्दा खोजते रहते हैं कि राहुल गांधी को उनके किसी बयान को लेकर कैसे उपहास का पात्र बनाया जाए। ये लोग राहुल का आशय समझने की बजाय उनके शब्दों को पकड़कर बैठ जाते हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल ने एक नामी हलवाई के यहां मीठी कुरकुरी जलेबियां खाईं फिर अचानक उन्हें लगा कि यह बिजनेस तो और भी बढ़ाया जा सकता है। जलेबी के शौकीनों की कमी नहीं है इसलिए बेरोजगार युवाओं को जलेबी बनाने का रोजगार दिया जा सकता है। इसी विचार से प्रेरित होकर राहुल ने जलेबी बनाने की फैक्टरी की बात कह डाली। कुछ वर्ष पहले उन्होंने यूपी में आलू की फैक्टरी डालने की बात कही थी।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘इस तरह की बातों से बीजेपी को राहुल का मजाक उड़ाने का मौका मिलता है। उसके नेता कहते हैं कि राहुल को यह भी नहीं पता कि आलू कहां पैदा होता है, उन्हें लगता है कि वह किसी फैक्टरी में बनता होगा।’’
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हमने कहा, ‘‘राहुल का आशय आलू चिप्स या आलू के वेफर्स बनाने की फैक्टरी डालने का रहा होगा। इसी तरह जलेबी भी किसी फैक्टरी में नहीं बनती लेकिन कुछ युवक मिलकर जलेबी बनाने का रोजगार कर सकते हैं। खमीर उठे हुए मैदा के घोल को तेल या वनस्पति घी की कड़ाही में कपड़े से डालते हुए गोल-गोल घुमाओ। जब जलेबी सुर्ख हो जाए तो उसे झारे से उठाकर मीठी चाशनी में डाल दो।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी को यह साबित करने के लिए मुद्दा चाहिए कि राहुल नासमझ या पप्पू हैं। इसलिए उसके नेता राहुल के बयानों में कोई न कोई पाइंट पकड़ने में लगे रहते हैं ताकि उनका मजाक बनाया जाए। यह पार्टी की रणनीति या स्ट्रेटजी है कि राहुल को किसी न किसी तरह निशाने पर लिया जाए।’’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा