
आरक्षण की सीमा लांघी तो रद्द होगा चुनाव (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा में स्थानीय निकाय चुनाव कराने की प्रक्रिया में राज्य चुनाव आयोग के सामने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे से बाधा आ गई है। इस संबंध में सुको के चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमें जाति के आधार पर समाज को नहीं बांटना चाहिए। यदि 50 प्रतिशत आरक्षण की मर्यादा लांघकर चुनाव कराए जाए तो उन्हें बाद में रद्द भी किया जा सकता है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से कहा गया कि 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जबकि महानगर निगम, जिला परिषद और पंचायत समितियों में चुनाव प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है।
नगर परिषदों व नगर पंचायतों में नगराध्यक्ष व नगर सेवक पद के लिए प्रत्याशी अपना नामांकन दाखिल कर चुके हैं, प्रचार जारी है। 2 दिसंबर को मतदान होगा व बुधवार को मतों की गिनती होगी। ऐसे समय यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। 1994 से लागू ओबीसी आरक्षण को जातिनिहाय आंकड़ों का आधार नहीं होने से इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च 2021 को निर्णय दिया था कि ओबीसी के लिए स्वतंत्र आयोग बनाएं। जनसंख्या का सर्वेक्षण व इम्पीरिकल डाटा व अनुसूचित जाति-जमाति के संविधान प्रदत्त आरक्षण मिलाकर कुल आरक्षण 50 प्रतिशत की मर्यादा पार न करे।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व अन्य कुछ राज्यों ने लागू किया। यह निर्णय आने पर राज्य सरकार ने मुख्य सचिव सुधीर कुमार बांठिया आयोग नियुक्त किया व इम्पीरियल डाटा की प्रक्रिया पूरी की। यह प्रक्रिया परिपूर्ण नहीं होने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने बांठिया आयोग की रिपोर्ट के पहले की अर्थात जुलाई 2022 के पूर्व की स्थिति के अनुसार ओबीसी आरक्षण सहित निकाय चुनाव लेने को कहा। इसके लिए 31 जनवरी 2026 की समय सीमा दी गई। इसके अनुसार तैयारी की गई। बाद में आरक्षण 50 प्रतिशत पार करने का मुद्दा अदालत पहुंचा।
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न्यायालय की जानकारी के अनुसार नगर परिषद व पंचायत के 288 में से 57 स्थानों पर यह मर्यादा पार कर ली गई है। 20 जिला परिषदों व अनेक महापालिकाओं में इस मर्यादा का पालन नहीं किया गया। न्यायालय का कहना है कि नगर परिषद व पंचायत के बढ़े हुए आरक्षण के बारे में बाद में विचार करेंगे परंतु महापालिका व जिला परिषद चुनाव में ऐसा नहीं होने दिया जाए। इसका अर्थ यह है कि सुनवाई के बाद बढ़े हुए आरक्षण पर कैंची चलाई जा सकती है तथा नए सिरे से आरक्षण तय कर उपचुनाव कराए जा सकते हैं। फिलहाल नगर पालिका-नगर पंचायत चुनाव पर लटकती तलवार दूर हो गई है, लेकिन जहां आरक्षण की सीमा का उल्लंघन हुआ है वहां भविष्य में नए सिरे से आरक्षण व उपचुनाव की नौबत आ सकती है।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा






