
वोटों के लिए न निकालें बोतल से बाबरी का जिन्न (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: भाजपा नेता विनय कटियार ने कहा कि कहीं भी बाबर के नाम पर मस्जिद बनेगी, तो हम उसे उखाड़ फेकेंगे। जाहिर है एक तरफ बाबर के नाम पर बाबरी मस्जिद बनाए जाने की जिद और दूसरी तरफ ऐसी किसी भी हरकत को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जैसी धमकियों के बाद लोगों का भावनाओं में बहना स्वाभाविक है। इसका असर नेताओं पर कुछ नहीं होगा, लेकिन आम लोगों को इसकी बहुत कीमत चुकानी पड़ेगी। आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी जीत पक्की करने के लिए टीएमसी आग में घी डालने की कोशिश कर रही है। टीएमसी के विधायक हुमायूं कबीर का यह बयान तब सामने आया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर के शिखर पर ध्वजा रोहण करके औपचारिक रूप से राम मंदिर निर्माण पूरा होने की घोषणा कर रहे थे।
आगामी विधानसभा चुनाव में टीएमसी को भाजपा से कड़ी टक्कर मिलने की आशंका है। पिछली बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाजपा की तमाम कोशिशों पर भारी पड़ी थीं, लेकिन इस बार ऐसा होने की संभावना नहीं लगती, क्योंकि बंगाल लगातार पीछे जा रहा है। एक समुदाय का वोट पाने के लिए पूरे देश को साम्प्रदायिकता की आग में झोंकना अक्लमंदी नहीं होगी। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने टीएमसी विधायक के बयान पर कहा है कि अगर टीएमसी ऐसी कोई हरकत करेगी, तो इसका मतलब यह होगा कि वह बंगाल में कोई मस्जिद नहीं, बल्कि एक नए बांग्लादेश की नींव रख रही है। ये दोनों ऐसे भड़काऊ बयान हैं जिस पर आज नहीं तो कल दोनों समुदाय की गोलबंदी तय है, जो देश के लिए बहुत बड़ी क्षति होगी। इसलिए यह सिर्फ भाजपा या टीएमसी के लिए ही नहीं देशभर के नेताओं के लिए सही समय पर संयम बरतने का वक्त है।
अगर सिर्फ अपनी राजनीति के लिए आम लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काया गया, तो देश दशकों पीछे चला जाएगा। टीएमसी के बाद अब कांग्रेस नेता उदित राज भी बढ़-चढ़कर हुमायूं कबीर का समर्थन कर रहे हैं। कह रहे हैं अगर मंदिर का शिलान्यास हो सकता है, तो मस्जिद का क्यों नहीं? उदित राज को यह बात समझ में नहीं आ रही कि यह सिर्फ मस्जिद के शिलान्यास की बात नहीं है, यह हिंदुस्तान पर आतताई हमला करने वाले बाबर के नाम की बात है। इससे सिर्फ टीएमसी को ही फायदा नहीं होगा, इससे टीएमसी से ज्यादा फायदा भाजपा का हो सकता है। महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने कहा है कि मस्जिद बनाना ठीक है। लेकिन खास तौर पर बाबरी मस्जिद ही क्यों? पहले भी बाबरी मस्जिद के कारण हिंदू और मुसलमानों में अलगाव रहा है। दर्जनों बार दंगे हुए हैं।
दोनों ही समुदायों को इससे बहुत नुकसान हुआ है और जब देश की सर्वोच्च अदालत ने तर्कों से परे जाकर भावनाओं के आधार पर राम मंदिर निर्माण के लिए रास्ता प्रशस्त कर दिया, तो मुस्लिम समुदाय ने सहिष्णुता दिखाते हुए इसका विरोध नहीं किया। यहां तक कि राम मंदिर बन जाने और उसके तमाम भव्य आयोजनों को लेकर भी मुस्लिम समुदाय ने कभी गलतबयानी नहीं की। लेकिन राजनीतिक फसल काटने के लिए टीएमसी जिस रास्ते पर आगे बढ़ रही है, वह रास्ता देश के गरीब लोगों को न सिर्फ संकट में डालेगा बल्कि उन्हें दशकों पीछे कर देगा। इसलिए राजनेताओं को अक्ल आए और वे महज वोटों के लिए बोतल से ‘बाबरी मस्जिद का जिन्न’ बाहर न निकालें।
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बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में देर रात बाबरी मस्जिद के शिलान्यास के पोस्टर लगे देखे गए और इनकी तस्वीरों के सोशल मीडिया में आते ही देश के कई इलाकों में साम्प्रदायिक तनाव का माहौल बनने लगा है। इन पोस्टर्स पर लिखा है- 6 दिसंबर 2025 को बेलडांगा में बाबरी मस्जिद का शिलान्यास होगा इस कार्यक्रम का आयोजनकर्ता तृणमूल कांग्रेस के विधायक हुमायूं कबीर को बताया गया है।
लेख- वीना गौतम के द्वारा






