राधाकृष्णन से सुदर्शन का औपचारिक मुकाबला (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: आगामी 9 सितंबर 2025 को होने वाले 17वें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी। ये सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी होंगे, जो एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की ही तरह दक्षिण भारत से हैं और उनकी ही तरह एक स्पष्ट वैचारिक स्टैंड लेते हैं। जहां सीपी राधाकृष्णन 17 साल की उम्र से ही आरएसएस से जुड़कर उसकी विचारधारा के समर्थक हैं, वहीं बी सुदर्शन रेड्डी अपने वाम झुकाव वाले लोकतांत्रिक रुख के लिए जाने जाते हैं। आंकड़ों के लिहाज से राधाकृष्णन का जीतना लगभग तय है लेकिन इंडिया गठबंधन ने उनके विरुद्ध बी सुदर्शन रेड्डी को उतारकर इसे वैचारिक ही नहीं, बल्कि दक्षिण बनाम दक्षिण की रोचक लड़ाई में बदल दिया है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विपक्ष के साझा उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को एक सिद्धांतवादी न्यायाधीश करार दिया है। उन्होंने रेड्डी को एक लोकतांत्रिक, संवैधानिक मूल्यों और बहुलतावाद में विश्वास रखने वाला सजग व्यक्ति बताया है। स्टालिन के मुताबिक उनकी उम्मीदवारी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय लोकतांत्रिक संस्थाएं दबाव में हैं। अगर आंकड़ों के लिहाज से देखें तो सुदर्शन रेड्डी के जीतने के आसार नहीं हैं। उपराष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के लिए 391 वोटों की जरूरत होगी जबकि एनडीए के पास फिलहाल जरूरत से 31 वोट ज्यादा हैं।
लोकसभा के कुल 543 सदस्यों में से एक सीट खाली है, इसी तरह राज्यसभा की कुल 245 सीटों में से 5 सीटें खाली हैं। इस तरह कुल मौजूदा वोट ताकत 782 बनती है। अतः जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार को कुल 391 वोट चाहिए होंगे, जबकि एनडीए के पास वर्तमान में कुल 422 सदस्य हैं। इंडिया गठबंधन के पास कुल 312 सांसद हैं यानी उसके पास बहुमत से 79 सांसद कम हैं। जबकि इन दोनो गठबंधनों के इतर 48 सांसद हैं, जो किसी भी गठबंधन में नहीं हैं। लेकिन अगर हम मान लें कि ये सभी बी सुदर्शन रेड्डी को वोट कर भी दें, तब भी इंडिया गठबंधन के समर्थकों की कुल संख्या 360 तक ही पहुंचेगी यानी उसे बहुमत के लिए 31 सांसदों की अब भी कमी होगी।
उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में व्हिप लागू नहीं होता। इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि क्रॉस वोटिंग के जरिए कोई भी उम्मीदवार चुनाव जीत सकता है। विपक्ष के पास इतनी ताकत नहीं है कि सत्ता पक्ष या दोनो पक्षों से अलग रहने वाले सांसद क्रॉस वोटिंग करके इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को वोट करें। रिटायर्ड न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी अपने एक फैसले की वजह से वाम झुकाव रखने वाले राजनीतिक धड़ों के पसंदीदा उम्मीदवार हैं। लंबी न्यायिक लड़ाई के बाद साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एसएस निज्जर की पीठ ने सलवा जुडूम को एक अवैध और असंवैधानिक संगठन करार दिया था।
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विपक्ष ने मैदान नहीं छोड़ाः इंडिया गठबंधन चाहता है कि वह मजबूत विपक्ष दिखे और देश को यह मैसेज जाए कि वैचारिक लड़ाई में विपक्ष ने किसी भी कीमत पर मैदान नहीं छोड़ा। इसलिए कांग्रेस के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन उपराष्ट्रपति पद की यह लड़ाई जोरदार ढंग से लड़ना चाहता है। इसके पीछे एक मकसद इस साल के अंत में बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के लिए भी मतदाताओं को अपनी मजबूत रणनीति का संदेश देना है। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी गठबंधन के लिए उपराष्ट्रपति पद की यह लड़ाई इसलिए भी जरूरी हो गई है, क्योंकि एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन से संबंध है और विपक्ष अपने समर्थक मतदाताओं को यह संदेश देना चाहता है कि वह एक ऐसे घोषित संगठन के सदस्य को वॉकओवर नहीं दे सकता, राहुल गांधी दिन-रात जिसकी जबर्दस्त आलोचना करते हैं।
लेख- लोकमित्र गौतम के द्वारा