वलोडिमिर ज़ेलेंस्की और नरेंद्र मोदी (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: भारत के लिए अपना हित सर्वोच्च है इसलिए कोई कितना भी कहे, उसे दूसरे देशों के पचड़े में नहीं पड़ना चाहिए। युद्ध वे करें और भारत जाकर मध्यस्थता करे, यह कदापि तर्कसंगत नहीं है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने लुभावने शब्दों में कहा कि मोदी जनसंख्या, इकोनॉमी तथा प्रभाव के लिहाज से एक विशाल देश के प्रधानमंत्री हैं इसलिए उनका सिर्फ यह कहना काफी नहीं है कि हम युद्ध समाप्त होता देखना पसंद करेंगे।
मोदी यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सकते हैं। जेलेंस्की ने यह भी कहा कि भारत तटस्थ नहीं रह सकता क्योंकि इससे यह मतलब निकलेगा कि, वह रूस के पक्ष में है। हमलावर और शिकार के बीच कोई तटस्थता नहीं रह सकती। जो नेता ब्रिक्स सम्मेलन में कह रहे थे कि वो संघर्ष का हल निकालने में मदद देना चाहते हैं, वे रूस समर्थक लग रहे थे।
जेलेंस्की ने कहा कि निश्चित रूप से भारत और मोदी यूक्रेन व रूस के बीच शांति वार्ता करवा सकते हैं लेकिन यह हमारे दृष्टिकोण के मुताबिक होनी चाहिए क्योंकि हमारी जमीन पर युद्ध लड़ा गया है। जेलेंस्की ने रूसी अर्थव्यवस्था को प्रतिबंधों के दायरे में लाने की बात की और उसके रक्षा-औद्योगिक काम्प्लेक्स को ब्लाक करने की मांग की।
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जेलेंस्की ने मोदी के उस बयान का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि वह यूक्रेन में शांति स्थापना के लिए कार्य करने को तैयार हैं। जेलेंस्की की बेचैनी इसलिए है क्योंकि फरवरी 2023 से चल रहा युद्ध 21 महीने बाद भी खत्म नहीं हो पाया है। यदि अमेरिका में ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव जीत गए तो यूक्रेन को सहयोग देना बंद कर देंगे।
पहले ही अमेरिका ने यूक्रेन पर प्रतिबंध लगा रखे हैं कि वह लंबी दूरी पर मार करनेवाले शस्त्रों का रूस के खिलाफ इस्तेमाल न करे। भारत का शांति की अपील करना ठीक है लेकिन खुद दोनों देशों के बीच सक्रिय रूप से पंच की भूमिका निभाना अव्यावहारिक है। भारत अपनी 65 से 70 फीसदी रक्षा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर है।
वह रूस से कम कीमत में कच्चा तेल भी ले रहा है। इसलिए वह रूस को नाराज नहीं करेगा। अपनी प्रतिष्ठा और गरिमा के लिए जरूरी है कि भारत शांति की अपील करे लेकिन इन दोनों देशों की लड़ाई में किसी का भी पक्ष न ले। जेलेंस्की इस आग में भारत को खींचना चाहते हैं इसलिए मोदी की तारीफ करने में लगे हैं। जेलेंस्की ने कहा है कि मोदी पुतिन से कहकर रूस के कब्जे से 1,000 यूक्रेनी बच्चों को छुड़वा दें।
इस संबंध में मानवता के नाते मोदी अनुरोध कर सकते हैं लेकिन निर्णय लेना पुतिन की मर्जी पर निर्भर है। इतिहास गवाह है कि भारत ने श्रीलंका में शांति सेना भेजकर ऐतिहासिक गलती की थी। हमारे 4000 से ज्यादा जवान और अफसर श्रीलंका की सेना और लिट्टे की क्रास फायर में शहीद हो गए थे। दूसरे की लड़ाई में तीसरे का उलझना कभी भी ठीक नहीं होता।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा