डोनाल्ड ट्रंप (फोटो- सोशल मीडिया)
US News in Hindi: अमेरिकी सरकार 1981 के बाद 15वीं बार शटडाउन की कगार पर पहुच गई है, अमेरिका में सरकारी फंडिंग पर जारी टकराव के बीच वाइट हाउस ने सख्त कदम उठाए हैं। वाइट हाउस के बजट कार्यालय (OMB) ने संघीय एजेंसियों को आदेश दिया है कि संभावित सरकारी शटडाउन की स्थिति में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की स्थायी छंटनी (मास फायरिंग) की तैयारियां सुनिश्चित की जाएं।
इस मामले को लेकर संघीय एजेंसियों के लिए फंडिंग को लेकर रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। दोनों दलों के बीच बातचीत की कोई इच्छाशक्ति नजर नहीं आ रही है। सीनेट में अस्थायी व्यय विधेयक पर वोटिंग के विफल होने की आशंका जताई जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो बुधवार से सरकारी कामकाज बाधित हो सकता है शटडाउन की संभावनाओं के बीच डेमोक्रेट्स स्वास्थ्य लाभों के विस्तार पर भी अड़े हुए हैं।
व्हाइट हाउस में हुई बैठक से भी कोई आसान हल नहीं निकल सका। डेमोक्रेट्स से मुलाकात के बाद उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने इसे बेतुका गतिरोध बताते हुए साफ कहा कि शटडाउन अब टलने वाला नहीं है। इस पूरे मामले में दोनों दल एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। डेमोक्रेट्स चाहते हैं कि विधेयक में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े प्रावधान जोड़े जाएं ताकि लाखों अमेरिकियों को लाभ मिल सके। वहीं रिपब्लिकन का तर्क है कि स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को इस विधेयक से अलग रखकर निपटाया जाना चाहिए।
कम से कम सात संघीय एजेंसियां इस संकट की जद में आ गई हैं। इनमें वे विभाग प्रमुख भी शामिल हैं जो गैर-जरूरी सेवाओं से जुड़े हैं। आशंका है कि इस वजह से लाखों सरकारी कर्मचारियों की नौकरियां दांव पर लग सकती हैं। वाइट हाउस द्वारा जारी मेमोरेंडम में साफ निर्देश दिया गया है कि एजेंसियां इस मौके का इस्तेमाल करते हुए उन क्षेत्रों में कर्मचारियों को आरआईएफ नोटिस जारी करने पर विचार करें, जहां शटडाउन का असर सबसे ज्यादा दिखाई देगा। इसके साथ ही, विभागों को कटौती की योजनाएं तैयार करने और कर्मचारियों को इसकी जानकारी देने के भी आदेश दिए गए हैं। बता दें कि “आरआईएफ” शब्द का इस्तेमाल ट्रंप प्रशासन ने इसी साल की शुरुआत में एलन मस्क की अगुवाई वाले सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) में बड़े पैमाने पर छंटनी के दौरान किया था।
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सीनेट के अल्पसंख्यक नेता चक शूमर ने स्पष्ट कहा कि वे ट्रंप प्रशासन की धमकियों से कतई भयभीत नहीं होंगे। उनका मानना है कि कर्मचारियों की छंटनी के आदेश या तो अदालत में खारिज हो जाएंगे या फिर खुद सरकार उन्हें वापस लेने पर मजबूर होगी, जैसा पहले भी कुछ मामलों में हो चुका है। शूमर ने इसे महज डराने-धमकाने की चाल बताते हुए कहा कि ट्रंप शुरुआत से ही संघीय कर्मचारियों को हटाते आ रहे हैं। उनके अनुसार यह शासन का तरीका नहीं, बल्कि डर का माहौल बनाने की कोशिश है, जिसका सरकारी फंडिंग से कोई लेना-देना नहीं है।