(डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राऊत चुभने वाली टिप्पणी करने में पीछे नहीं रहते। इस बार उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को उनके एक बयान को लेकर निशाने पर लिया है। मोदी ने अपने पहले पॉडकास्ट में कहा कि वह इंसान हैं और गलतियां कर सकते हैं। इसे लेकर संजय राऊत ने कहा कि मोदी भगवान हैं। उन्हें मैं इंसान नहीं मानता। भगवान तो भगवान होता है। अगर कोई खुद को अवतरित घोषित करता है तो वह इंसान कैसे हो सकता है? वह विष्णु के 13वें अवतार हैं। यदि भगवान माना जाने वाला व्यक्ति कहता है कि वह इंसान है तो कुछ गड़बड़ है। इसमें केमिकल लोचा है।’’
हमने कहा, ‘‘यह तथ्य है कि प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ समय पूर्व खुद को नॉनबायोलाजिकल कहा था और स्वयं को विशिष्ट कार्यों के लिए अवतरित बताया था। यह एक तरह की विशिष्ट अनुभूति है जिसे उर्दू में इलहाम कहते हैं। मन में एक भावना आती है तब व्यक्ति ऐसा कहने लगता है। हमारे ऋषि-मुनियों ने भी जब ईश्वर से तादात्म्य महसूस किया तो अहं ब्रम्हास्मि (मैं ब्रम्ह हूं) कहा। कहते हैं जो ब्रम्हांड में है वही शरीर रूपी पिंड में भी है। व्यक्ति जब समष्टि का अनुभव करता है तो ऐसी दिव्य वाणी बोल जाता है। स्वामी रामतीर्थ भी अहं ब्रम्हास्मि कहकर सिर्फ 32 वर्ष की उम्र में गंगा में कूद पड़े थे। यह उनके परिपूर्ण भाव में ली गई जलसमाधि थी। भावाभिव्यक्ति के शिखर पर पहुंचकर कोई कुछ कहे तो वह पत्थर की लकीर नहीं बन जाता। मोदी को जब वास्तविकता का एहसास हुआ तो पॉडकास्ट में उन्होंने स्वीकार किया कि वह इंसान हैं और इंसान से गलतियां हो जाती हैं।’’
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पड़ोसी ने कहा, ‘‘महात्मा गांधी को भी उनके जीवनकाल में उनके अनुयायी अवतार मानने लगे थे जिन्होंने 2 सदियों की गुलामी से देश को आजादी दिलाई थी। देश के पिछड़े वर्ग के लोग संविधान में आरक्षण दिलानेवाले डा। बाबासाहब आंबेडकर को भगवान के समान पूजते हैं। वे भगवान बुद्ध की मूर्ति छोटी रखते हैं जबकि बाबासाहब की बड़ी प्रतिमा बनाते हैं आदर और विश्वास का केमिकल मिलने से श्रद्धा बन जाती है और श्रद्धा में कोई तर्क या अविश्वास नहीं चलता। भगवान भी तो मानव शरीर धारण कर पृथ्वी पर अवतरित हुए थे ताकि दुष्टों का विनाश कर धर्म संस्थापना कर सकें।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा