
(डिजाइन फोटो)
पड़ोसी ने हमसे कहा, “निशानेबाज, आगामी 22 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो जाएगा और बरसात व त्योहारों की झड़ी लग जाएगी। फिल्मी गीतों में सावन को बहुत महत्व दिया गया है। आपने सुना होगा- सावन का महीना, पवन करे शोर! चिनगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाए, सावन जो आग लगाए, उसे कौन बुझाए ! आया सावन झूम के! सावन को आने दो!”
हमने कहा, “एक कहावत है- न सावन सूखे न भादों हरे! सावन में बेटियां ससुराल से मायके आती हैं। सावन में झूला झूलने की परंपरा है। सावन का महीना भगवान शंकर को विशेष प्रिय है। लोग सावन सोमवार का उपवास रखते हैं और शिव महापुराण पढ़ते हैं। शिवालयों में दर्शन पूजा के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।”
पड़ोसी ने कहा, “निशानेबाज, आपको जानकर खुशी होगी कि सावन आने से पहले ही विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में भगवान शंकर का चित्र दिखाकर स्पीकर सहित सभी सदस्यों को उनके दर्शन करवा दिए। उन्होंने ऐसी बात कही जो बड़े-बड़े संत-महात्मा भी नहीं कहते। राहुल ने कहा कि एक ओर भगवान शिव कहते हैं कि डरो मत, डराओ मत और अहिंसा की बात कहते हैं। शिव की तस्वीर में त्रिशूल बाएं हाथ में होता है। यह असल में अहिंसा का प्रतीक है।”
हमने कहा, “यदि राहुल गांधी ने शिवपुराण पढ़ा होता तो ऐसा नहीं कहते। शिव ने अपनी राह रोक रहे पुत्र का त्रिशूल से सिर काट दिया था, फिर हाथी का सिर लगाकर पुनर्जीवित कर दिया था। यह है गणेशजी की कथा! शिव ने तीसरा नेत्र खोलकर कामदेव को जलाकर भस्म कर दिया था। शिव ने त्रिपुरासुर को मारा था। सती के यज्ञकुंड में कूद जाने के बाद शिव के आदेश पर दक्ष प्रजापति का सिर काट दिया गया था और फिर दक्ष को बकरे का सिर लगाया गया था। शिव के गण वीरभद्र ने ब्रम्हा का एक सिर काट डाला था। ब्रम्हा सृष्टि उत्पन्न करते हैं, विष्णु भगवान पालन करते हैं और शिव प्रलय या संहार करते हैं। परशुराम, राम और कृष्ण ने भी आततायियों का वध किया था। अहिंसा तो जैन और बौद्ध धर्म ने शुरू की।”
पड़ोसी ने कहा, “निशानेबाज, हमें यह सब मत बताइए। राहुल ने यह भी अनोखा ज्ञान दिया है कि शिव की तस्वीर में उनकी अभय मुद्रा कांग्रेस का चुनाव चिन्ह है।” लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा






