
नरेंद्र मोदी, नितिन नवीन और अमित शाह (डिजाइन फोटो)
Nitin Nabin News: बिहार में बीजेपी के युवा चेहरों और युवा मंत्रियों में से एक नितिन नबीन को भारतीय जनता पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। सियासी पंडित उन्हें अब बीजेपी का ‘डॉर्क हॉर्स’ भी कह रहे हैं। चर्चा में कई नाम चले लेकिन सबसे बड़ा प्रमोशन नितिन नबीन को मिला, जो बिहार की राजधानी पटना के बांकीपुर से पांचवीं बार विधायक हैं और दूसरी बार मंत्री बने हैं।
नितिन नबीन को भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने से राजनीतिक गलियारों चर्चाओं का गुबार छाया हुआ है। हर जगह एक ही सवाल उठ रहा है कि बीजेपी ने नितिन नबीन को संगठन का प्रमुख क्यों बनाया? हो यह सवाल शायद आपके मन में भी हो! तो चलिए जानते हैं वो पांच बड़े कारण जिनकी वजह से उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है।
नितिन नबीन बीजेपी के विधायक हैं जो 2006 से 2025 तक लगातार चुने गए। पटना का बांकीपुर निर्वाचन क्षेत्र कायस्थों के प्रभुत्व वाला नहीं है, बल्कि यहां विपक्षी आरजेडी और कांग्रेस के समर्थक भी हैं। ये वही वोटर हैं जो चिराग पासवान के समर्थन के बावजूद नितिन नबीन के खिलाफ वोट देते हैं। इसके बावजूद नितिन नबीन ने बांकीपुर सीट पर अपनी पकड़ बनाए रखी।
बांकीपुर से लगातार जीत दर्ज कर उन्होंने यह भी दिखा दिया कि चुनाव में जीत के लिए रणनीति कैसे बनाई जाती है। इसके अलावा 2020 के चुनावों में उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा और राजनीतिक सनसनी पुष्पम प्रिया चौधरी को हराकर अपनी काबिलियत साबित की।
2023 में छत्तीसगढ़ में चुनाव होने थे। उस समय कांग्रेस सरकार सत्ता में थी और भूपेश बघेल को लगभग अजेय माना जा रहा था। इसी बीच बीजेपी ने नितिन नबीन को छत्तीसगढ़ का प्रभारी नियुक्त किया और उन्हें रायपुर भेज दिया। जहां उन्होंने बहुत कुशलता से अपना चुनाव प्रबंधन शुरू किया।
नितिन नबीन (डिजाइन फोटो)
नबीन को जानने वालों ने बताया कि युवा नितिन नबीन एयर कंडीशनर कमरे में रहने के बजाय, छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों और दूरदराज के गांवों में घूमे और सभी बीजेपी उम्मीदवारों से दिन-रात मैदान में काम करने का आग्रह किया। नितिन की रणनीति चुनाव नतीजों में दिखी। बीजेपी ने भूपेश बघेल के सभी गढ़ों को ध्वस्त कर दिया और जीत हासिल की।
नितिन नबीन ने बीजेपी के राष्ट्रीय युवा मोर्चा के महासचिव के रूप में दो बार काम किया। यह वही रणनीति थी जिसकी चर्चा ऊपर बीजेपी की दूसरी पंक्ति को विकसित करने के लिए की गई थी। संगठन ने नितिन नबीन की काबिलियत को पहले ही पहचान लिया था। हालांकि उन्हें सीधे नेशनल एग्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट बनाना सही नहीं होता।
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इसलिए उन्हें दो बार नेशनल लेवल का पद दिया गया। इसके दो कारण थे। पहला यह पक्का करना कि दूसरे पार्टी नेताओं को नेशनल लेवल पर नितिन नबीन की पोजीशन स्वीकार करने में कोई हिचकिचाहट न हो। दूसरा संगठन के सबसे ऊंचे लेवल पर काम करने का अनुभव हासिल करना, जो अब उनके काम आएगा।
नितिन नबीन के पिता नबीन किशोर सिन्हा पटना से सात बार विधायक रहे थे। उनके अचानक निधन के बाद नितिन नबीन ने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलने का फैसला किया। हालांकि, पद विरासत में मिलने के बावजूद उन्होंने संगठन में ज़मीनी लेवल पर काम करना शुरू किया और ऐसा करते रहे। उन्होंने कभी भी खुद को भाई-भतीजावाद से प्रभावित नहीं होने दिया।






